दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकारी प्राधिकरणों, विभागों, निकायों और राजकीय विभागों की लेटलतीफी पर नाराजगी जाहिर की है। हाईकोर्ट ने यह पाया कि अक्सर ही सरकारी प्राधिकरण स्पष्ट निर्देश होने के बाद भी तय समय पर एफिडेविट जमा नहीं कर पाते और पेशी से एक या दो दिन पर फाइल करते हैं।

जस्टिस प्रतिभा एम सिंह ने कहा अगर समय से अदालत में उत्तर नहीं फाइल किए गए तो विभागों पर जुर्माना लगाया जा सकता है। अदालत ने ये बातें वजीरपुर बर्तन निर्माता संघ की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, जिसमें कई निर्देश होने के बाद भी वजीरपुर इलाके में अनगिन अतिक्रमण हो गए हैं।

अक्तूबर 2003 में, उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने वजीरपुर क्षेत्र में मौजूद अतिक्रमणों का संज्ञान लिया था और सड़क पर सभी अवैध संरचनाओं और अतिक्रमणों को हटाने के निर्देश जारी किए थे।

न्यायमूर्ति सिंह ने 30 जनवरी को पारित एक आदेश में याचिका में कहा, न तो दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) और न ही संबंधित स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) ने अपना हलफनामा दायर किया है।

अदालत ने कहा कि दोनों हलफनामे उसे सुनवाई के दौरान सौंपे गए थे और कहा गया था कि ये क्रमश: 26 और 28 जनवरी को दाखिल किए जाएंगे। एमसीडी के हलफनामे और तस्वीरों पर गौर करने के बाद, अदालत ने कहा कि अधिकारियों द्वारा कुछ विध्वंस की कार्रवाई की गई है और अतिक्रमण हटा दिए गए हैं।