न्यूयार्क । जुलियाना ब्रैंसडेन नामक महिला खुशहाल ज़िंदगी जी रही थी। महिला के शरीर में सर्दी के साधारण लक्षण दिख रहे थे, लेकिन धीरे-धीरे वो मौत के मुहाने तक पहुंच गई।  जानकारी के मुताबिक दो बच्चों की मां जुलियाना ब्रैंसडेन ने कोरोना महामारी के बाद पहली बार परिवार के साथ क्रिसमस सेलिब्रेशन में हिस्सा लिया था। इस दौरान उनका पूरा परिवार वहां मौजूद था। हालांकि जुलियाना को इस बात का बिल्कुल एहसास नहीं था कि वो आखिरी बार अपने पैरों पर खड़े होकर हंसते-गाते त्यौहार मना रही हैं। 44 साल की जुलियाना पेशे से एक प्राइमरी टीचर हैं।
उन्होंने कोरोना महामारी के बाद पूरे परिवार के साथ मिलकर क्रिसमस मनाया।ये उनके लिए काफी खुशी का मौका था लेकिन उन्हें इस दौरान खबर मिली कि उत्तरी आयरलैंड में रहने वाली उनकी आंटी की मौत हो गई। इस खबर के बाद नए साल की शुरुआत में ही उन्हें सर्दी-जुकाम के कुछ लक्षण दिखाई दिए। उन्होंने इसे ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया और आराम करने लगीं।हालांकि एक-दो दिन में ही उनकी तबियत बिगड़ने लगी।वे बिस्तर से हिल तक नहीं पा रही थीं। पहले डॉक्टरों ने उन्हें सिर्फ आराम की सलाह थी क्योंकि उन्हें भी ये सर्दी और बुखार जैसा लग रहा था।पत्नी की बिगड़ती तबियत देखकर जुलियाना के पति ने तुरंत एंबुलेंस बुलाई और उन्हें किसी तरह अस्पताल में भर्ती कराया गया।
यहां जाकर पता चला कि जुलियाना के शरीर में सेप्सिस हो गया है और उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया।66 दिन तक आईसीयू में रहने के बाद उन्हें सेप्सिस शॉक की वजह से उनके हाथ काले पड़ गए और दोनों पैरों को काटना पड़ गया। उनकी ज्यादातर उंगलियां भी काटी जा चुकी हैं। डॉक्टरों ने बताया कि उसे एग्रेसिव निमोनिया, इनफ्लुएंज़ा और इनवेसिव स्ट्रेप ए का अटैक पड़ा था, जिसने उसकी हंसती-खेलती जिंदगी बर्बाद कर दी। बता दें कि कुछ बीमारियां इंसान के शरीर में धीरे-धीरे घर करती जाती हैं। हमें पता भी नहीं होता है कि ये कितनी गंभीर हैं, जब तक कि बीमारी का कोई बड़ा लक्षण सामने नहीं आता।