मुंबई। 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रबल मोदी लहर के बावजूद महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण नांदेड़ से स्वयं एवं इसके बगल की हिंगोली सीट से राहुल गांधी के भरोसेमंद रहे कांग्रेस नेता राजीव सातव को जितवाकर लाए थे। अब अशोक चव्हाण भाजपा में हैं। शनिवार को नांदेड़ में भाजपा प्रत्याशी के लिए हुई चुनावी सभा में वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ मंच पर थे।

2019 में भाजपा यह सीट अशोक चव्हाण को ही हराकर जीती थी। अब खुद चव्हाण के साथ आ जाने से भाजपा और सहज महसूस कर रही है, क्योंकि चव्हाण खुद अपने पुराने प्रतिद्वंद्वी एवं भाजपा उम्मीदवार प्रतापराव चिखलीकर को जिताने के लिए भरपूर मेहनत कर रहे हैं। प्रस्तुत है दैनिक जागरण के मुंबई ब्यूरो प्रमुख ओमप्रकाश तिवारी से अशोक चव्हाण की संक्षिप्त बातचीत के प्रमुख अंश...

इस बार आप अपनी पुरानी पार्टी छोड़कर एक नई पार्टी के लिए प्रचार कर रहे हैं। नया क्या दिख रहा है नांदेड़ में ?

जवाब: अच्छा है। मुझे चाहने वाले लोग बहुत हैं यहां। उनमें से बहुत से लोग तो भाजपा में आ चुके हैं। उनका कहना है जिकड़े तुम्हीं, तिकड़े हमी (जहां तुम, वहां हम)। इसलिए यहां ज्यादा कोई दिक्कत नहीं लग रही है मुझे। कुछ क्षेत्रों में थोड़ा-बहुत असंतोष है। वह भी ठीक कर लेंगे।

मराठा बनाम अन्य का जो मुद्दा चल रहा है इस समय, वह क्या असर डालेगा इस बार के लोकसभा चुनाव में ?

जवाब: यह बात सही नहीं है। मराठा बनाम अन्य का कोई मुद्दा नहीं है। मराठा आंदोलन से यह क्षेत्र कुछ प्रभावित जरूर था। खासतौर से मराठवाड़ा का क्षेत्र, लेकिन हम लोगों के बीच जाकर ठीक से बता रहे हैं, उसके बारे में तो लोग समझ रहे हैं। हम लोगों को बता रहे हैं कि सरकार ने मराठा समुदाय को 10 प्रतिशत आरक्षण दे दिया है।

सगे-संबंधियों को भी उसमें शामिल करने के लिए सरकार ने शासनादेश जारी किया है। उस पर आपत्तियां आई हैं, उस पर सुनवाई होगी। ये सारे विषय सुलझने वाले ही हैं। वो हो जाएंगे। लोग ये बात समझ रहे हैं।

आपके कांग्रेस छोड़ देने के बाद उसके नेता आप पर हमलावर हैं। उनसे कैसे निपटेंगे ?

जवाब: ये तो हमेशा होता है। हर पांच साल में मुझ पर लोग हमला करते ही हैं। मुझ पर हमला किए बिना उनका प्रचार ही नहीं होता।

आपकी नई पार्टी (भाजपा) में वहां का निचले स्तर का कार्यकर्ता आपको अपने बीच कैसे समायोजित कर पा रहा है ?

जवाब: वो खुश हैं। भाजपा में जितने लोग अभी आ रहे हैं, उतने कभी नहीं आए थे। इसलिए वो खुश हैं।

आपके भाजपा में आने के बाद उसको उम्मीद है कि पूरा मराठवाड़ा आप उसकी झोली में डालेंगे। ये उम्मीद कहां तक पूरी होगी ?

जवाब: सच कहूं तो मराठवाड़ा की कोई विशेष जिम्मेदारी तो नहीं दी गई है। मैं नांदेड़ तो देख ही रहा हूं। ये सीट लाना मेरी जिम्मेदारी है। इसके अलावा अभी मैं विदर्भ भी जाकर आया।

आप इतने वर्ष कांग्रेस में रहे। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी कहां फेल होते दिख रहे हैं ?

जवाब: राहुल गांधी ने महाराष्ट्र का नेतृत्व जिनको दिया है, उनकी क्षमता नहीं है। उन्होंने पार्टी में इतना गड़बड़ करके रखा है कि कांग्रेस की कई अच्छी सीटें उसके हाथ से निकल गईं। भिवंडी, सांगली जैसी सीटें उसके हाथ से चली गईं। धुले और भंडारा- गोंदिया के प्रत्याशी को भी कोई नहीं जानता।

मुंबई में भी कायदे से देखें तो एक ही सीट मिली है। दूसरी उत्तर मुंबई की सीट पर तो जीतने का सवाल ही नहीं उठता। सीटें भी सिर्फ 17 ले पाएं हैं गठबंधन में। इसलिए कांग्रेस में अंदरूनी नाराजगी बहुत है।

मराठवाड़ा में शिवसेना का भी अच्छा प्रभाव रहा है। आप इतना घूम रहे हैं। क्या उद्धव ठाकरे के प्रति कोई सहानुभूति लहर दिखाई देती है?

जवाब: इस बार का चुनाव उनके लिए ‘पहला टेस्ट’ केस होगा। शिवसेना (यूबीटी) व राकांपा (शपा) के लिए अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। चुनाव के बाद ही समझ में आएगा कि लोगों का रुझान किसकी ओर है।

संजय निरुपम आपके करीबी रहे हैं। क्या वह भी भाजपा या राजग के किसी और दल का हिस्सा बनेंगे?

जवाब: आएं तो अच्छा रहेगा। उत्तर भारतीय नेता हैं। तेजतर्रार हैं। उन पर अन्याय हुआ है। वह आते हैं तो स्वागत है, लेकिन बात ये है कि किसी को लेना है, तो उसको कुछ देना भी पड़ता है ना। ये फैसला तो पार्टी के वरिष्ठ लोग ही करेंगे। बाकी तो संजय निरुपम के आने से मुंबई में फायदा ही होगा।