पूर्वी दिल्ली। गाजीपुर लैंडफिल साइट पर कूड़ा निस्तारण की गति धीमी है। यहां से 84 मीट्रिक टन कूड़ा खत्म करना बाकी है। इसे गति देने के लिए दूसरी एजेंसी के चयन का काम प्रशासनिक व्यवधान के चलते अटका है।

स्थायी समिति का गठन न होने की दिल्ली नगर निगम इस योजना को आगे नहीं बढ़ा पा रहा। यही वजह है कि इस साइट को पूरी तरह समाप्त करने की समय सीमा वर्ष 2024 से बढ़ाकर वर्ष 2026 कर दी गई है।

वर्ष 2019 में गाजीपुर लैंडफिल साइट पर जमा कूड़े के निस्तारण को लेकर कसरत शुरू हुई थी। उस समय 140 मीट्रिक टन कूड़ा साइट पर था। लक्ष्य था कि वर्ष 2024 तक लैंडफिल साइट को खत्म कर यहां पार्क विकसित किया जाएगा।

अभी कितना कूड़ा बचा है?

पांच वर्षों में 25 ट्रामेल मशीन की मदद से यहां से 46 मीट्रिक टन कूड़े का ही निपटारा हो पाया। कूड़े के पहाड़ की ऊंचाई में कुछ कमी जरूर आई, लेकिन इसे पूरी तरह समाप्त नहीं कर पाए।

अभी इस पहाड़ पर 84 मीट्रिक टन कूड़ा बचा है। इस साइट पर अभी एक ही एजेंसी यहां कूड़ा निस्तारण का काम कर रही है, जिसका आपसी विवाद के चलते कामकाज प्रभावित हो रहा है।

उधर कूड़ा निपटारा तेजी से करने के लिए इसके साथ दूसरी एजेंसी को काम पर लगाने की योजना प्रशासनिक व्यवधान के चलते सिरे नहीं चढ़ पा रही है। निगम में स्थायी समिति का गठन न होने के चलते दूसरी एजेंसी के चयन की प्रक्रिया थमी हुई है।

क्या है पहाड़ खत्म करने की समय सीमा

इस कारण कचरा निस्तारण की गति धीमी ही बनी हुई है। पहाड़ पूरी तरह से खत्म करने की समय सीमा बढ़ाकर वर्ष 2026 करनी पड़ी है। लैंडफिल साइट के कारण जहां इलाके की आबोहवा प्रदूषित रहती है, बदबू लोगों को परेशान करती है।

वहीं भूमिगत जल भी दूषित हो रहा है। लैंडफिल साइट के पांच किलोमीटर के दायरे में रहने वाले इससे बुरी तरह प्रभावित हैं। लोग सांस संबंधी विभिन्न बीमारियों के शिकार होते जा रहे हैं।