पिथौरागढ़ जिले के उत्तर दिशा में स्थापित है मां चंडिका मंदिर. इसे मां दुर्गा का ही रूप माना जाता है. मार्कण्डेय पुराण के दुर्गा माहात्म्य में मां चंडिका के कृत्यों एवं स्वरूप का विशद रूप से वर्णन किया गया है. चंडिका घाट मंदिर पिथौरागढ़ से 55 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. चंडिका देवी को न्याय की देवी माना जाता है. इंसाफ मांगने के लिए लोग चंडिका देवी के दरबार मे पहुंचते हैं, यह मंदिर मां चंडिका का मूल स्थान माना जाता है.

हाटकालिका मंदिर उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ जिले के गंगोलीहाट शहर में स्थित है. गंगोलीहाट पिथौरागढ़ जिले की तहसील है. हाटकालिका का यह मंदिर मां महाकाली माता को समर्पित है, ऐसा माना जाता है कि मां काली यहां रात्रि विश्राम के लिए आती हैं. हाटकालिका मंदिर घने देवदार के जंगलों के बीच में स्थित है. जिसका पुराणों में भी उल्लेख मिलता है. प्राचीन हिन्दू धर्मग्रंथों के अनुसार गुरु शंकराचार्य ने महाकाली माता का यह शाक्तिपीठ कुमाऊं मंडल में भ्रमण करते समय स्थापित किया था, और यह मंदिर हजारों साल पुराना है.

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले से 7 किलोमीटर दूर कुसौली गांव में कामख्या देवी मंदिर स्थित है. यह स्थान सुंदर चोटियों से घिरा हुआ है, जिसके कारण कुसौली ग्राम में स्थित मां कामख्या देवी के इस मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक फैली है. यह केंद्र आध्यात्मिक शांति के साथ साथ प्रकृति से भी जोड़ता है. इस स्थान से पिथौरागढ़ का जो दृश्य दिखता है, वह बहुत ही अद्भुत है. अपने नैसर्गिक सौन्दर्य से पर्यटकों के साथ-साथ स्थानीय लोगो को भी खूब लुभा रहा है. माता कामख्या का दरबार सिर्फ धार्मिक महत्ता का ही नहीं, पर्यटन के क्षेत्र में भी प्रमुख है.

पिथौरागढ़ मुख्यालय से एक किलोमीटर दूर हुड़ेती गांव के सामने की ऊंची चोटी पर स्थित हैमाँ कौशल्या देवी मंदिर, जो कि पिथौरागढ़ के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है. सड़क से पैदल 400 मीटर की चढ़ाई करते हुए घने जंगलों के बीच होते हुए मंदिर के प्रांगण तक आसानी से पहुँचा जा सकता है. माँ कौशल्या देवी मंदिर में एक दिव्य गुफा है, जिसमें कौशल्या देवी भगवती के रूप में विराजमान हैं. ऐसी मान्यता है कि भगवान श्री राम की माता कौशल्या ने अपनी कैलाश यात्रा के दौरान इस गुफा में विश्राम किया था और उन्हें इस स्थान पर दिव्य शक्तियों का एहसास हुआ, तब उन्होंने यहां पर माँ भगवती की स्थापना कर एक छोटे मंदिर का निर्माण कराया तभी से इस स्थान को कौशल्या देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है।

पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय से 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है मां उल्का देवी का भव्य मंदिर जिसे सोर की भगवती के नाम से भी जाना जाता है. जिसकी इस क्षेत्र में काफी मान्यता है. नवरात्रि के शुरू होने के साथ ही यहां दूर दराज से लोग मां के दर्शन करने पहुंचते हैं. उल्का देवी मंदिर की शक्तियों के बारे में कहा जाता है कि उल्का माता पिथौरागढ़ जिले की गंभीर बीमारियों और प्राकृतिक आपदाओं को रोकने का काम करती हैं.