नई दिल्ली। राजधानी की सड़कों पर रात में अधिकतर चौराहों पर ट्रैफिक सिग्नल को ब्लिंकिंग मोड पर छोड़ दिया जाता है। ऐसे में यातायात का अधिक दबाव होने के कारण दुर्घटना की संभावना तो बनी ही रहती है, साथ में जाम भी लगता है।

राजधानी में आश्रम समेत कई ऐसे में चौराहे पर जहां पर यातायात पुलिस सिग्नलों को रात में 11 या 12 बजे से सुबह पांच या छह बजे तक सिग्नल को ब्लिंकिंग मोड पर कर देती है। आश्रम समेत कई ऐसे चौराहें हैं, जहां पर देर रात या फिर रात भर यातायात का अधिक दबाव रहता है।

ऐसे में सवाल है कि इन सिग्नल को यलो कलर के ब्लिंकिंग मोड पर छोड़ने से बेहतर है कि रात में भी हरी और लाल बत्ती जलनी चाहिए या फिर सुचारू यातायात के लिए यातायात पुलिसकर्मी की तैनाती की जाए, लेकिन इस पर यातायात पुलिस गंभीरता से काम नहीं कर रही है।

यहीं वजह है कि रात को भी कई चौराहों पर यातायात का अधिक दबाव होने के चलते दुर्घटना होने के साथ ही जाम लगने की भी संभावना रहती है।

रात में कम होता है यातायात का दबाव

दिल्ली पुलिस की यातायात पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि रात में यातायात का दबाव कम होता है। ऐसे में चौराहों पर वाहन चालकों को संकेतक के तौर पर सिग्नल को ब्लिंकिंग मोड पर छोड़ा जाता है, ताकि वे चौराहों को सतर्कता से पार करें।

वे चारों तरफ देखें और सावधानी पूर्वक सड़क चौराहा पार करें। कुछ एक चौराहे हो सकते हैं, जहां पर कुछ समय के लिए यातायात दबाव हो सकता है, लेकिन यह समस्या अधिक देर तक नहीं रहती। आश्रम चौराहा समेत कुछ अन्य प्रमुख चौराहों पर जरूरत के अनुसार रात में सिग्नल को यलो कलर के ब्लिंकिंग मोड पर छोड़ा जाता है।

दिल्ली में सिग्नल

. 642 सिग्नल को रात में ब्लिंकिंग मोड पर छोड़ा जाता है। 
. 267 सिग्नल 24 घंटे ब्लिंकिंग मोड पर रहते हैं।
. कुल सिग्नल 1029।

यातायात विशेष आयुक्त, दिल्ली पुलिस सुरेंद्र सिंह यादव का कहना है कि रात में यातायात दबाव कम होने के कारण चौराहों पर सिग्नल को ब्लिंकिंग मोड पर छोड़ दिया जाता है। यह संकेतक है कि वाहन चालक ध्यान से और सावधानीपूर्वक चौराहा पार करें।

यदि किसी चौराहे पर यातायात को दबाव अधिक रहता है कि और सिग्नल को यलो कलर के ब्लिंकिंग मोड पर छोड़ा जा रहा है, तो उसकी जांच कराई जाएगी। वहां इसके लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे।