चंडीगढ़ : जमानत के फर्जी आदेश से छुड़ाने के मामले में पांच साल बाद भी कार्रवाई न होने और उस महिला वकील (कथित) को ढूंढने में पंजाब पुलिस के नाकाम रहने पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को फटकार लगाई है। इसके साथ ही गृह सचिव, लुधियाना के पुलिस कमिश्नर व वर्धमान के एसएचओ को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।

लुधियाना निवासी सुभाष कुंद्रा ने एडवोकेट एलएम गुलाटी के माध्यम से याचिका दाखिल करते हुए बताया कि गैंगस्टर प्रिंस उर्फ मनी के खिलाफ 18 मामले दर्ज थे और वह तरनतारन की जेल में बंद था। बाद में उसे लुधियाना की जेल में भेज दिया गया था। अप्रैल 2017 में लुधियाना की इस सेंट्रल जेल में महिला वारंट लेकर पहुंचती है और बताती है कि अदालत ने प्रिंस को सभी मामलों में जमानत दे दी है। बेल बांड के बाद उसे जमानत पर छोड़ दिया गया।

कुछ ही समय के बाद तरनतारन की अदालत से जेल को नोटिस भेजा जाता है और पूछा जाता है कि आरोपी प्रिंस को पेश क्यों नहीं किया जा रहा है। तब पुलिस को पता चलता है कि प्रिंस उर्फ मनी को फर्जी दस्तावेज के सहारे जमानत दिलाई गई है। इसके बाद पुलिस प्रिंस को गिरफ्तार कर मामला दर्ज कर लेती है। इसके बावजूद आज तक इस मामले में न तो जांच पूरी की गई है और न ही अदालत के फर्जी दस्तावेज बनाने वालों को गिरफ्तार किया गया है।

प्रिंस जिसे बाद में गिरफ्तार कर लिया गया था उसने अपने बयान में बताया था कि यह सब उसकी एक महिला मित्र ने किया था जिसने खुद को एक वकील बताते हुए अदालत के फर्जी जमानत के आदेश तैयार किए थे। याचिकाकर्ता का आरोप है कि इसके बावजूद आज तक पुलिस ने उस महिला को गिरफ्तार करने की कोशिश तक नहीं की। अब इस मामले की एसआईटी गठित कर जांच करवाने की मांग पर हाईकोर्ट ने सभी प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर जवाब मांग लिया है।