S&P ग्लोबल ने बदली भारतीय जीडीपी ग्रोथ की रेटिंग
नई दिल्ली। रेटिंग एजेंसी S&P ने एक बार फिर से इंडियन इकोनॉमी ग्रोथ की रेटिंग को अपग्रेड किया है। इस बार रेटिंग फर्म ने इसे स्थिर से बदलकर पॉजिटिव कर दिया है। S&P के अनुसार भारत की मजबूत इकोनॉमी ग्रोथ ने क्रेडिट मेट्रिक्स पर पॉजिटिव रिस्पांस डाला है।
आपको बता दें कि BBB की रेटिंग सबसे निचले स्तर की मानी जाती है।
भारत का राजकोषीय घाटा बढ़ा है, लेकिन राजकोषीय घाटा को कम करने की कोशिश जारी है। हमें उम्मीद है कि भारत की बुनियादी बातें 2-3 वर्षों में विकास की गति में सहायक होंगी। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि अगर राजकोषीय घाटा कम हो जाता है तो भारत की रेटिंग को अपग्रेड कर सकती है। भारत सरकार को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2025 में राजकोषीय घाटा जीडीपी के 5.1 प्रतिशत पर आ जाएगा, जो वित्त वर्ष 2024 में 5.8 प्रतिशत था। वहीं सरकार का लक्ष्य है कि वित्तीय वर्ष 2025-26 तक घाटे को 4.5 प्रतिशत पर लाया जाए।
इन मामलों में बढ़ सकती है रेटिंग
एसएंडपी ने कहा कि अगर भारत सतर्क राजकोषीय और मौद्रिक नीति अपनाता है जो आर्थिक लचीलेपन को बढ़ाते हुए सरकार के बढ़े हुए डेट और ब्याज के बोझ को कम करता है तो वह अगले 2 वर्षों में भारत की संप्रभु रेटिंग को अपग्रेड कर सकता है। एसएंडपी ने भारत के प्रति दृष्टिकोण को संशोधित कर स्थिर से सकारात्मक कर दिया। एसएंडपी अमेरिका में स्थित एजेंसी है। एसएंडपी के अनुसार अगर भारत का राजकोषीय घाटा सार्थक रूप से कम हो जाता है यानी सकल घरेलू उत्पाद 7 प्रतिशत से नीचे आ जाता है तो वह रेटिंग बढ़ा सकती है। अगर आरबीआई द्वारा मौद्रिक नीति में निरंतर और पर्याप्त सुधार देखने को मिलते हैं तब भी एसएंडपी रेटिंग को अपग्रेड कर सकता है। दुनिया की तीन प्रमुख वैश्विक रेटिंग एजेंसियों - एसएंडपी, फिच और मूडीज - ने भारत को सबसे कम निवेश ग्रेड रेटिंग दी है। हालाँकि, फिच और मूडीज का अपनी रेटिंग पर दृष्टिकोण अभी भी स्थिर है। रेटिंग को निवेशकों द्वारा देश की साख के बैरोमीटर के रूप में देखा जाता है और इसका उधार लेने की लागत पर प्रभाव पड़ता है।