पंजाब | के राजपुरा-बठिंडा डबल लाइन रेल प्रोजेक्ट में रेल अफसरों की मेहरबानी से करोड़ों रुपयों का घोटाला हो गया। पटरी को जकड़कर रखने वाली रोड़ी को मानकों के विपरीत पाते हुए रेल विकास निगम लिमिटेड के अतिरिक्त महाप्रबंधक ने रिजेक्ट कर दिया था। करीब 8 माह तक रिजेक्ट रोड़ी पटरी किनारे पड़ी रही, लेकिन बाद में मिलीभगत कर रिजेक्ट रोड़ी को ही बिछवाकर करोड़ों रुपये की पेमेंट जारी कर दी गई। इस घोटाले को अंजाम देने के लिए रेलवे के इंजीनियरिंग ब्रांच से एक रिटायर्ड अधिकारी की आरवीएनएल में एंट्री भी करवाई गई। इसी अधिकारी के माध्यम से फिर कंपनी पर मेहरबानी करते हुए रिजेक्ट रोड़ी की पेमेंट कर दी गई। पटरी के बीच और आसपास बिछने वाले रोड़ी यात्रियों की सुरक्षा से जुड़ी है। रोड़ी यदि मानक के विपरीत है तो इससे पटरी खिसक सकती है और ट्रेन भी बेपटरी हो सकती है।

राजपुरा से बठिंडा तक 170 किलोमीटर तक डबल लाइन का टेंडर डाला गया। आरवीएनएल को इस कार्य को पूरा करने की जिम्मेदारी दी गई। अभी भी इस प्रोजेक्ट में कुछ कार्य बाकी है, जबकि बीच-बीच में जहां पर कार्य पूरा हो गया, वहां पर डबल लाइन को मुख्य संरक्षा आयुक्त हरी झंडी दे चुके हैं। अभी यह प्रोजेक्ट पूरा भी नहीं हुआ कि अब इस प्रोजेक्ट में करोड़ों रुपये का घोटाला सामने आ गया है। इसी को लेकर आरवीएनएल के एजीएम ने कंपनी को दिसंबर 2019 को पत्र लिखा था। इस में बताया गया था कि रेल पटरी के किनारे बिछाई गई रोड़ी मानकों के अनुसार नहीं है। इसी कारण से प्रोजेक्ट भी लेट हो रहा है। कंपनी को सही मानक की रोड़ी डालने को कहा गया था। इसके अलावा एक रेल अधिकारी ने इसी कंपनी को दिसंबर 2019 में एक ओर पत्र लिखा था जिसमें बताया गया था कि रोड़ी का आकार कैसा है, जबकि यह किस तरह की होनी चाहिए थी। इसी को ध्यान में रखते हुए अधिकारी ने इस संबंध में सही आकार की रोड़ी डालने के निर्देश दिए थे।

यह है रोड़ी का रोल

रेलवे द्वारा पटरी के बीच में और किनारों पर रोड़ी डाली जाती है। यह रोड़ी तिकोनी आकार की होनी चाहिए। इस तरह की रोड़ी की पकड़ अच्छी रहती है। इसी कारण रेल पटरी भी स्थिर रहती है और रेल आसानी से इस पर दौड़ती है। यदि यह मानकों के अनुरूप न हो तो ट्रैक खिसक सकता है और रेल भी बेपटरी हो सकती है। इसी कारण से यात्रियों की सुरक्षा को लेकर रोड़ी मानकों के अनुसार ही रेल ट्रैक के बीच और आसपास डाली जाती है।