पंजाब : गुरदासपुर पहुंचा शहीद हरकृष्ण सिंह का पार्थिव शरीर....
बटाला के गांव तलवंडी भरथ के सिपाही 25 साला हरकृष्ण सिंह पुंछ में आतंकवादियों के हमले में शहीद हो गए थे। हरकृष्ण सिंह के यूं चले जाने से उनका पूरा परिवार सदमे में है। परिवार को बेटे के जाने का गम तो है लेकिन फख्र इस बात का है कि जो काम देश के लिए वह नहीं कर सके उनके बेटे ने कर दिखाया है। हरकृष्ण सिंह का पार्थिव शरीर गुरदासपुर पहुंच गया है।
शनिवार को हरकृष्ण सिंह का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव पंजाब के गुरदासपुर पहुंचा। परिवार वालों का रो-रोकर बुरा हाल है। अपने लाल को तिरंगे में लिपटा देखकर सभी के आंखों से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। हरकृष्ण सिंह को न सिर्फ परिवार बल्कि पूरा गांव सलाम कर रहा है। आखिरी बार उनके दर्शन के लिए लोगों का हुजूम इकट्ठा हो गया।
करीब डेढ़ साल से कश्मीर में थे तैनात
बलिदानी हरकृष्ण सिंह पांच साल पहले 16 सिख रेजिमेंट की 49 आरआर में भर्ती हुए थे और कश्मीर घाटी में पिछले करीब डेढ़ साल से तैनात थे। एक तरफ जहां इलाके में इसको लेकर शोक की लहर छाई है। गुरुवार को जम्मू-कश्मीर के पुंछ में सेना के वाहन को आतंकियों को निशाना बनाया। इस हमले में पांच जवान शहीद हो गए। शहीद हुए इन पांच जवानों में एक पंजाब के लाल हरकृष्ण सिंह हैं।
पिता ने कहा 'देशभक्त था मेरा बेटा'
पूर्व फौजी पिता मंगल सिंह ने बताया कि उनका बेटा करीब दो महीने पहले ही छुट्टी काट कर ड्यूटी पर कश्मीर गया था। वह अकसर ही देश भक्ति की बातें करता रहता था। उनके बेटे ने देश के लिए अपना बलिदान दिया है। फौज में भर्ती होने के दौरान देश की रक्षा के लिए खाई जाने वाली सौगंध को हरकृष्ण सिंह ने अपना बलिदान दे कर पूरा किया है। हालांकि परिवार को बेटे के जाने का गम तो है लेकिन फख्र इस बात का है कि जो काम देश के लिए वह नहीं कर सके उनके बेटे ने कर दिखाया है। पिता मंगल सिंह को अपने बेटे के बलिदान पर गर्व है।
मां की भर आई आंखें
वहीं हरकृष्ण सिंह की मां प्यार कौर ने बताया कि हरकृष्ण जब दो साल का था तभी से वह धार्मिक रुचि रखने लगा था और पांच साल का होने पर कई कई घंटे परमात्मा का ध्यान लगाए रहता था। गांव के सभी लोग उसकी धार्मिक रूचि से खुश होते थे। बेटे की शादी करीब तीन साल पहले बहुत चाव से की थी, पर पता नहीं था कि वह इतनी जल्दी परिवार का साथ छोड़ जाएगा।
वहीं पत्नी दिलजीत कौर ने बताया कि उनकी बेटी दो साल की है। कुछ दिन ही पहले पति हरकृष्ण ने बेटी को अच्छे स्कूल में डालने की बात कही थी। वह चाहते थे कि बेटी अच्छी शिक्षा लेकर आईपीएस अधिकारी बने। इसलिए वह उसे अच्छे स्कूल में पढ़ाना चाहते थे।
अपना बलिदान दे दिया। बलिदानी हरकृष्ण सिंह पांच साल पहले 16 सिख रेजिमेंट की 49 आरआर में भर्ती हुए थे और कश्मीर घाटी में पिछले करीब डेढ़ साल से तैनात थे। एक तरफ जहां इलाके में इसको लेकर शोक की लहर छाई है।
आज होगा अंतिम संस्कार
आज शनिवार सुबह पूरे सैन्य सम्मान के साथ हरकृष्ण सिंह का अंतिम संस्कार किया जाएगा।बलिदानी का अंतिम संस्कार शनिवार को गांव के शमशान घाट में सरकारी सम्मान के साथ किया जाएगा। इस दौरान फौज के अधिकारी बलिदानी को श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचेंगे।