लैब में बने हीरों की कीमतें तेजी से कम हुईं
नई दिल्ली । पिछले आठ साल में डायमंड कारोबार में बड़े बदलाव देखे गए हैं। प्रयोगशाला में तैयार होने वाले हीरे यानी लैब-ग्रोन डायमंड की कीमत में बहुत तेजी से गिरी है। इस गिरावट के कारण इस सेक्टर में हुआ निवेश खतरे में पड़ गया है। पहली बार जब वाणिज्यिक रूप से एलजीडी सामने आए थे, तब इन्हें प्राकृतिक हीरे की तुलना में पर्यावरण की दृष्टि से ज्यादा सुरक्षित विकल्प माना गया था। 2016 में 1-कैरेट कृत्रिम हीरे की कीमत प्राकृतिक हीरे की तुलना में बमुश्किल 10 प्रतिशत कम थी। हालांकि 2022 के अंत तक अलग-अलग मैन्यूफैक्चररों के हिसाब से इनकी कीमतों में अंतर 80 प्रतिशत तक हो गया है। एक अध्ययन में पता चला है कि पिछले छह साल में एलजीडी की लागत 74 प्रतिशत बढ़ी है, जबकि हल्के उतार-चढ़ाव के साथ लंबी अवधि में प्राकृतिक हीरे की कीमतों में औसतन सालाना 3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। प्राकृतिक हीरे में किए गए निवेश की कीमत और इनकी सस्टेनेबिलिटी को लेकर नैचुरल डायमंड काउंसिल (एनडीसी) की डायमंड फैक्ट्स रिपोर्ट में तस्वीर स्पष्ट की गई है। इस व्यापक रिपोर्ट में डायमंड इंडस्ट्री से जुड़े भ्रमों को दूर किया गया है और यह भी दिखाया गया है कि कैसे सदियों में प्राकृतिक हीरे ने खुद को साबित किया है और ग्राहकों के लिए बेहतर विकल्प साबित हुआ है।