कोरोना संक्रमण की भयावह दूसरी लहर में जब लोग अपनी जान बचाने जद्दोजहद कर रहे थे। वहीं, दूसरी ओर प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के अधिकारी अपनी जेब भरने में लगे हुए थे।आपदा को अवसर में तब्दील कर कमीशन के लालच में साढ़े सात करोड़ रुपये की सड़क जांचने वाली सात फालिंग वेट डिफलेक्टोमीटर मशीन की खरीदी की। यह मशीन 40 टन की भार क्षमता वाली सडकों की जांच के लिए उपयुक्त है, लेकिन विभाग 10 टन भार क्षमता वाली सड़क का ही निर्माण करता है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि अधिकारियों ने अनुपयोगी मशीन को किसके आदेश पर खरीदा है।

पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के आरसीटीआरसी के जरिए ट्रेनिंग फंड से दो साल पहले कोरोना काल में नियम विरुद फालिंग वेट डिफलेक्टोमीटर की खरीदी की गई है। दूसरी लहर के दौरान जिस समय सारे काम बंद थे उस समय विभाग की ओर से टेंडर जारी किया गया।सप्लायर को इतनी हड़बड़ी थी कि आर्डर मिलते ही फालिंग वेट डिफलेक्टोमीटर सप्लाई कर दी। साथ ही ठेकेदार को सात करोड़ रुपये का भुगतान भी कर दिया गया। सड़कों के परीक्षण के लिए खरीदी गई आधुनिक मशीनें बीते दो साल साल से अधिक समय से प्रदेश के विभिन्न् संभागीय मुख्यालय में स्थित आरआरएनएमयू कार्यालय परिसर में खड़ी है।

बिलासपुर के सेंदरी स्थित कार्यालय में भी एक मशीन भेजी गई है। इस मशीन का उपयोग आज तक किसी भी सड़क के परीक्षण में नहीं हुआ है। दरअसल यह मशीन 40 टन भार क्षमता की सड़क की जांच करने के लिए है। वहीं पीएमजीएसवाई 10 टन से अधिक भार क्षमता वाली सड़क नहीं बनाता है। ऐसे में इसी मशीन की खरीदी को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।

वाहन को चलाने के लिए ड्राइवर की नियुक्ति नहीं

विभाग के बड़े ठेकेदार ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि डिफलेक्टोमीटर मशीन चलाने की जानकारी और समझ विभाग में किसी को नहीं है। ऐसी स्थिति में मशीन का उपयोग कौन और कैसे करेगा। लंबे समय बाद मशीन की गाड़ियों का आरटीओ में पंजीयन हुआ लेकिन गाड़ियों के लिए ड्राइवर की नियुक्ति अब तक नहीं हुई है।

जीएसटी को लेकर फंसा पेंच

मशीन सप्लाई होने के बाद जिम्मेदार विभागीय अधिकारियों ने ठेकेदार को साढ़े सात करोड़ का भुगतान कर किया गया है। हालांकि टेंडर में जीएसटी का उल्लेख नहीं था। अब ठेकेदार करीब एक करोड़ रुपये जीएसटी की मांग कर रहा है। ऐसे में भुगतान को लेकर संकट गहरा गया है।