हरियाणा राज्य पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (एचएसपीसीबी) ने सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) से निकलने वाले पानी के उपचार और पुन: उपयोग पर फोकस किया है। एचएसपीसीबी के चेयरमैन पी राघवेंद्र राव ने प्रदेश के सभी पीसीबी क्षेत्रीय अधिकारियों (आरओ) को दिशा निर्देश दिए है कि वे एसटीपी पर फोकस करें। एसटीपी से निकलने वाले पानी को बेहतर तरीके से ट्रीट करवाया जाए, ताकि उस पानी का पुन: उपयोग हो सकें। यदि किसी एसटीपी पर गंदा पानी सहीं से ट्रीट नहीं हो रहा है तो उस पर तुंरत संज्ञान ले ताकि प्रदूषण न फैले और पानी का पुन: उपयोग हो सकें।

पीसीबी इन दिनों वायु और जल प्रदूषण के बचाव में लगातार प्रयासरत है। इसकी अहम वजह नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) भी है। एनजीटी की सख्ती के बाद अब पीसीबी भी जल बचाव की दिशा में अहम कदम उठा रहा है। एसटीपी के पानी का ट्रीट बेहतर हो यह जल बचाव की दिशा में अहम कदम साबित हो सकता है क्योंकि गंदा पानी उपचारित होकर पुन: उपयोग में लाया जा सकेगा। यहीं जल दोबारा उपयोग होने से साफ पानी की बचत हो पाएगी।

प्रदेश की जितनी भी नहर व नदियां है। उनमें नालों के माध्यम से जो गंदा पानी मिल रहा है अब पीसीबी उस पर प्रतिबंध लगाएगी। केवल ट्रीट कर जो पानी साफ है वहीं नहर में पहुंच पाएगा। बाकी सभी नालों पर पीसीबी शिकंजा कसने अर्थात उन पर कार्रवाई की तैयारी कर रही है। इस बारे में जल्द ही कागजी औपचारिकताएं की जाएगी। पीसीबी के चेयरमैन ने सभी क्षेत्रीय अधिकारियों को आदेश दिए है कि जो भी गंदे पानी निकासी के नाले नहरों से कनेक्ट है उनका गंदा पानी नहर में जाने से तुंरत प्रभाव से रूकवाया जाए।