भोपाल  । मप्र की राजनीति में महाकौशल का बड़ा महत्व है। चुनावी साल में महाकौशल क्षेत्र के जबलपुर में नर्मदा चुनावी मुद्दा बनेगी। इसके लिए राजनीतिक पार्टियों ने अभी से माहौल बनाना शुरू कर दिया है। कमलनाथ सरकार में स्वीकृत नर्मदा रिवरफ्रंट की बजाय शिवराज सरकार में नर्मदा कॉरिडोर बनाने का ऐलान कर मामले को गर्मा दिया है। सूचना के अधिकार से मिली जानकारी बताती है कि जबलपुर में नर्मदा रिवरफ्रंट बनाने की 162 करोड़ रुपयों की डीपीआर को सरकार ने 1 साल से मंजूरी नहीं दी है और अब कॉरिडोर और रिवरफ्रंट के बहाने कांग्रेस और भाजपा के विधायक सामने सामने है।हर पांच सालों में होने वाले चुनावों की तरह इस विधानसभा चुनाव से पहले भी जबलपुर की सियासत नर्मदा पर गर्मा गई है, इसकी वजह है 15 माह की कमलनाथ सरकार के द्वारा स्वीकृत नर्मदा रिवर फ्रण्ट का प्रोजेक्ट बदलने को लेकर है, बीती कमलनाथ सरकार ने जबलपुर के ग्वारीघाट से लेकर तिलवाराघाट के बीच नर्मदा रिवरफ्रंट बनाने का प्रोजेक्ट मंजूर किया था लेकिन नई सरकार ने इसे ठण्डे बस्ते में डाल दिया थ। हाल ही में 25 जनवरी को जबलपुर पहुंचे सीएम शिवराज सिंह चौहान ने नर्मदा आरती के बाद अब नया ऐलान किया और कहा कि यहां सभी घाटों को जोड़कर एक अद्भुत कॉरिडोर बनाया जाएगा। सीएम ने जब नर्मदा कॉरिडोर बनाने को नया ऐलान बताया तो इस पर बहस भी शुरू हो गई ह। शहर के एक सामाजिक कार्यकर्ता ने आरटीआई से मिली जानकारी पर दावा किया कि सरकार ने रिवरफ्रंट बनाने की 162 करोड़ रुपयों की डीपीआर की मंजूरी 1साल से रोक रखी ह। मामले में कोर्ट जाने की चेतावनी भी दी है।
रिवरफ्रंट अधर में लटका
सामाजिक कार्यकर्ता डा. पीजी नाजपांडे ने सूचना के अधिकार से खुलासा किया है कि 2020 में राज्य सरकार ने बजट में प्रस्ताव पास किया था कि ग्वारीघाट से तिलवाराघाट तक के बीच के दस घाटो में निर्माण करके रिवरफ्रंट बनाया जाएगा। इसकी डीपीआर भी बन गई और 2022 में प्रशासन ने राज्य सरकार को प्रशासनिक स्वीकृति के लिए भेजी, पर आज भी यह स्थिति है कि एक साल हो गया है पर फाइल वही की वही पड़ी हुई है। इस योजना की लागत जो 129.54 करोड़ रुपए थी वह बढ़कर अब 162.09 करोड़ रुपए हो चुका है। मतलब जैसे-जैसे देरी हो रहीं वैसे-वैसे लागत भी बढ़ रहीं है। इसलिए अब इस मुद्दे पर जनहित याचिका दायर की जाएगी। सामाजिक कार्यकर्ता जहां मामले पर हाईकोर्ट जाने की तैयारी में है तो वही कांग्रेस ने भी तीखे तेवर दिखाए। पूर्व वित्तमंत्री और कांग्रेस विधायक तरुण भनोत ने कहा कि सरकार बजट प्रोविजन वाले प्रोजेक्ट को नहीं रोक सकती और अगर तब भी इसे रोका जाता है कांग्रेस 2023 की सत्ता में आकर नर्मदा रिवरफ्रंट को बनवाकर रहेगी। पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि जब हमारी सरकार थी तो हमने बजट में प्रवाधान किया था , पैसा दिया था उसकी डीपीआर तैयार हो गई थी आधे से ज्यादा काम हो जाना चाहिए था पर संस्कारधानी के लोगों का दुर्भाग्य की लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार को गिराया और जितने भी विकास शिकार थे वैसे भी रुक गए। इधर नर्मदा के मुद्दे पर भाजपा ने भी कांग्रेस पर पलटवार किया। भाजपा विधायक अशोक रोहाणी ने कहा कि हमारा विजन बहुत बड़ा है हम चाहते हैं कि सिर्फ नर्मदा रिवरफ्रंट तक सीमित ना रहे, हम चाहते हैं कि नर्मदा में बड़ा कारिडोर बने, कांग्रेस को चाहिए कि अगर नर्मदांचल का भला चाहते हैं तो कॉरिडोर बने या फिर रिवरफ्रंट जो भी बने उसका समर्थन करें। भाजपा विधायक ने कहा कि जैसे महाकाल में महालोक बना हुआ है इस तरह से हम करना चाहते है। इसलिए मुख्यमंत्री भी चाहते है कि योजनाबध्द तरीके से नर्मदा कारिडोर बने।