पंजाब : सिक्किम में शुक्रवार को हुए हादसे में सेना के तीन जेसीओ समेत 16 जवान वीरगति को प्राप्त हो गए। इनमें पठानकोट के गांव नाजोवाल के नायब सूबेदार ओंकार सिंह भी शामिल थे। जिन्होंने 35 वर्ष की आयु में बलिदान देकर अपना नाम शहीदों की श्रेणी में स्वर्ण अक्षरों में अंकित करवा लिया। उनकी शहादत की खबर सुनते ही पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई। नायब सूबेदार ओंकार सिंह अपने माता-पिता के इकलौता बेटे थे। 

बेटे की शहादत की खबर सुनते ही मां सरोज बाला ने बिलखते हुए कहा कि मेरा श्रवण बेटा चला गया। अब मैं किस के सहारे जिंदगी काटूंगी, मेरे बुढ़ापे की लाठी टूट गई अब मुझे कौन सहारा देगा। ओंकार सिंह तीन बहनों का इकलौता भाई था। बहन सीमा, बंदना और ममता ने रोते हुए बताया कि उनका भाई हमेशा कहता था कि उसके रहते उनकी बहनों को किसी भी चीज की कमी नहीं आएगी। अब उसने अपना बलिदान देकर पूरे परिवार को जिस गम के समंदर में धकेल दिया है उससे हम कभी बाहर नहीं निकल पाएंगे। 

इस अवसर पर बलिदानी नायब सूबेदार ओंकार सिंह के परिजनों को दिलासा देने पहुंचे शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविंदर सिंह विक्की ने बताया कि ओंकार के चले जाने से परिवार पर जो दुखों का पहाड़ टूटा है। शायद ही यह परिवार उस दुख से उभर पाए मगर उनकी परिषद इस दुख की घड़ी में परिवार के साथ खड़ी है और वो इन्हें टूटने नहीं देंगे। कुंवर विक्की ने बताया कि नायब सूबेदार अपने पीछे अपने माता-पिता, तीन बहनों सहित पत्नी सपना व चार साल के बेटे मुकुंद को छोड़ गए हैं।

उन्होंने कहा कि उनकी पत्नी भी पिछले चार महीनों से अपने पति ओंकार सिंह के साथ सिक्किम में ही है। कुंवर विक्की ने बताया कि शहीद नायब सूबेदार ओंकार सिंह की पार्थिव देह 25 दिसंबर को उनके गांव नाजोवाल में पहुंचेगी जहां पूरे सैन्य सम्मान से उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।