चंडीगढ़ | हरियाणा में सोमवार को 70 स्थानों पर पराली जलाने के मामले सामने आए। इनमें फतेहाबाद 23, जींद 13, अंबाला, कुरक्षेत्र, करनाल 4-4, कैथल 6, पलवत 4 और सिरसा 3 और हिसार में 2 स्थानों पर पराली जलाई गई।

एसवाईएल को लेकर पंजाब और हरियाणा में चल रहे विवाद के बाद अब पराली भी मुद्दा बन गया है। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पराली जलाने को लेकर पंजाब सरकार पर तंज कसा है। मनोहर लाल ने कहा कि हरियाणा सरकार द्वारा किए गए पुख्ता प्रबंधों के चलते इस बार पराली जलाने की घटनाएं कम हुई हैं। पंजाब के साथ इनका आंकलन करें तो यह कई गुना कम है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदूषण के दुष्परिणाम पूरे इलाके में होंगे। चाहे हरियाणा हो या चंडीगढ़, पंजाब का प्रदूषण हर जगह असर कर सकता है। इसलिए पंजाब सरकार से अपील है कि वे इस बारे में कठोर कदम उठाए।

वर्ष 2022 में अब तक हरियाणा में पराली जलाने की महज 1995 घटनाएं सामने आई हैं, पंजाब में 30 अक्तूबर तक पराली जलाने की 13873 घटनाएं सामने आई हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि पराली जलाने से होने वाला प्रदूषण एक गंभीर मसला बना गया है। प्रदूषण को दूर करने के लिए हरियाणा सरकार ने व्यापक प्रबंध किए हैं। किसानों में जागरूकता पैदा करने के साथ ही पराली जलाने पर एफआईआर और जुर्माना लगाया गया है। इसके चलते हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में काफी कमी आई है।

उन्होंने कहा कि हरियाणा में पराली न जलाने व पराली के उचित प्रबंधन के लिए धान पर 100 रुपये प्रति क्विंटल या 1000 रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि का प्रावधान किया गया है। किसानों को पराली की गांठ बनाने के लिए 50 रुपये प्रति क्विंटल प्रोत्साहन राशि और पराली प्रबंधन के उपकरणों पर सब्सिडी दी जाती है। किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के उपकरण 50 प्रतिशत तथा कस्टम हायरिंग सेंटर पर 80 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है।

एक ही दिन में 70 स्थानों पर जली पराली

हरियाणा में सोमवार को 70 स्थानों पर पराली जलाने के मामले सामने आए। इनमें फतेहाबाद 23, जींद 13, अंबाला, कुरक्षेत्र, करनाल 4-4, कैथल 6, पलवत 4 और सिरसा 3 और हिसार में 2 स्थानों पर पराली जलाई गई। वहीं, अब तक के आंकड़ों की बात करें तो सबसे अधिक कैथल में 523, फतेहाबा 302, करनाल 249, कुरुक्षेत्र 284, जींद 195, सिरसा 52, यमुनानगर 115, सोनीपत 15, पानीपत 8, फरीदाबाद और झज्जर 1-1 स्थान पर पराली जलाई गई है।