महर्षि कश्यप और निषादराज की मनायी गयी जयंती
मिश्रित-सीतापुर। भ्रष्टाचार विरोधी संघर्ष समिति द्वारा महर्षि कश्यप और निषादराज की जयंती पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गयावक्ताओं ने उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि महर्षि कश्यप द्वारा सम्पूर्ण सृष्टि की रचना में दिए गए महायोगदान कि यशोगाथा हमारे वेदों,पुराणों,स्मृतियों, उपनिषदों एवं अनेक धार्मिक साहित्यों में भरी पड़ी है जिसके कारण उन्हें ष्सृष्टि के सृजकष् उपाधि से विभूषित किया जाता है मुनिराज कश्यप नीतिप्रिय थे और वे स्वयं भी धर्म नीति के अनुसार चलते थे महर्षि कश्यप ने कभी भी अधर्म का पक्ष नही लिया महर्षि कश्यप राग-द्वेष रहित,परोपकारी,चरित्रवान,और प्रजापालक थे उन्हें श्महर्षिश् जैसी श्रेष्ठतम उपाधि हासिल हुई।उन्होंने स्मृति ग्रंथ और कश्यप संहिता की रचना कीवही निषादराज गुह श्रृंगवेरपुर नगरी के राजा थे वे बचपन मे भगवान श्रीराम के साथ ही महर्षि वशिष्ठ के आश्रम में पढ़ते थे 14 वर्ष के वनवास के समय परस्पर भेंट होने पर श्री राम जी को गंगा पार करवाने में सहायता की थी और गंगा किनारे उनके रात्रि विश्राम का प्रबंध किया था।वनवास समाप्त करके पुष्पक विमान से वापस आते समय निषादराज नगरी में उनसे मिलने आये थे ।उनके परस्पर संवाद सामाजिक समरसता का अनुपम उदाहरण है। हम सबको आपसी बंधुत्व की भावना के साथ समाज मे रहना चाहिए। इस अवसर पर समिति के उपाध्यक्ष सुधीर शुक्ल राना एडवोकेट, सभासद रामनरेश कश्यप, निर्मल कश्यप, सुभाष कश्यप, रोहित कश्यप, प्रेम तिवारी, लखन लाल मिश्र, संतोष कश्यप, प्रभात वैश्य, महेश चंद्र मिश्रा, डॉक्टर सागर, अभय चौरसिया, बालक राम राजवंशी, नईम खान, अतीक अहमद, मनोहर लाल हंस, संतोष कश्यप, जुगुल किशोर, मोलहे राम, बबलू जब्बार, विशाल शर्मा, जितेंद्र शानू कश्यप, प्रेम यादव, गोविंदा कश्यप, हरिशंकर कश्यप, शिवेश चंद्र वैश्य सिंटू ,महेश चंद्र मिश्रा आदि लोग उपस्थित रहे।