अयोध्या । अब पर्यटकों की पहली पसंद ताज महल नहीं, बल्कि काशी विश्वनाथ और राममंदिर हैं। पर्यटन विभाग के आंकड़े इसकी गवाही दे रहे हैं। पिछले साल काशी के बाद सबसे ज्यादा लोग अयोध्या पहुंचे हैं। मंदिर-मस्जिद विवाद के चलते सदियों तक संतप्त रही अयोध्या अब धार्मिक पर्यटन का हब बन चुकी है। रामनगरी में सुविधाएं बढ़ी हैं तो रामनगरी में पर्यटन भी बढ़ा है। गलियारे ने काशी तो राममंदिर ने अयोध्या की सूरत बदल दी है। 
स्वदेशी-विदेशी पर्यटकों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। दीपोत्सव ने अयोध्या को ग्लोबल पहचान दिलाई है। घाटों के सुंदरीकरण, राम की पैड़ी की भव्यता, प्राचीन मंदिरों का सुंदरीकरण, भक्ति का अहसास कराते रास्ते आदि विभिन्न योजनाओं से अयोध्या की सुंदरता बढ़ी है जिसने श्रद्धालुओं को आकर्षित किया है। यह वही अयोध्या है जहां 2019 से पहले लोग आने से कतराते थे। 9 नवंबर 2019 को राममंदिर के हक में निर्णय आने के बाद रामलला जैसे ही टेंट से आजाद हुए अयोध्या का गौरव लौटने लगा। अयोध्या के आकर्षण का आलम यह है कि पिछले साल अयोध्या में काशी के बाद सबसे ज्यादा 5 करोड़ 75 लाख 15 हजार 423 श्रद्धालु पहुंचे। उपनिदेशक पर्यटन आरपी यादव बताते हैं कि आगरा से ज्यादा अब काशी व अयोध्या में श्रद्धालु आ रहे हैं। आगरा में जहां हर साल 90 लाख से एक करोड़ लोग पहुंच रहे हैं वहीं अयोध्या और काशी में पांच करोड़ से अधिक लोग पहुंच रहे हैं।
राममंदिर कमाई के मामले में भी ताजमहल से आगे निकल गया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2022 में टिकटों की बिक्री से ताजमहल को 25 करोड़ 61 लाख 73 हजार 145 रुपये जबकि 2021 में 9 करोड़ 53 लाख 41 हजार 75 रुपये राजस्व प्राप्त हुआ। उधर श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कार्यालय प्रभारी प्रकाश गुप्ता बताते हैं कि प्राण प्रतिष्ठा के बाद दो महीने में ही रामलला को करीब 15 करोड़ का दान प्राप्त हो चुका है। इसके अलावा बड़ी मात्रा में सोने-चांदी व अन्य धातुएं भी मिल रही हैं।