हर साल अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका व्रत रखा जाता है। जीवित्पुत्रिका व्रत को जिउतिया, जितिया या ज्युतिया व्रत के नाम से भी जाना जाता है।

इस साल यह व्रत 6 अक्टूबर 2023 दिन शुक्रवार को रखा जा रहा है। जीवित्पुत्रिका व्रत निर्जला होता है। माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र, समृद्धि और उन्नत जीवन के लिए इस दिन निर्जला व्रत रखती हैं। मान्यताओं के अनुसार संतान के लिए किया गया यह व्रत किसी भी बुरी परिस्थिति में उसकी रक्षा करता है। यह कठिन व्रत उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में अधिक प्रचलित है। संतान प्राप्ति की कामना के लिए भी यह व्रत रखा जाता है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि जीवित्पुत्रिका व्रत की पूजा विधि और महत्व के बारे में...

जितिया व्रत कब मनाया जाता है?
यह 24 घंटे का निर्जाला व्रत होता है। इसकी शुरुआत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी से होती है। वहीं इसका समापन नवमी तिथि को होता है। इस बार यह व्रत 6 अक्टूबर 2023, शुक्रवार को मनाया जा रहा है। व्रत में 1 दिन से पहले तामसिक भोजन जैसे प्याज, लहसुन, मांसाहारी भोजन का सेवन नहीं करना होता है।

 निर्जला व्रत रखती हैं महिलाएं
जितिया व्रत संतान की दीर्घायु और उनकी सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है। इस दिन माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र के लिए निर्जला उपवास रखती हैं। इस उपवास में महिलाएं जल की एक बूंद भी ग्रहण नहीं करती हैं।

पूजन विधि
जितिया यानी जीवित्पुत्रिका व्रत के दिन सुबह उठकर स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद व्रत रखने वाली महिलाएं प्रदोष काल में गाय के गोबर से पूजा स्थल को भी साफ करना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत में एक छोटा सा तालाब बनाकर पूजा की जाती है।

 पारण
निर्जला उपवास रखने के बाद जितिया व्रत का पारण तीसरे दिन प्रातः काल पूजा-पाठ के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देकर किया जाता है।