भूले तो नहीं... !
कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ एक ओर जहां खुद को हिंदूवादी और सनातनी कह रहे हैं, वहीं दूसरी ओर गाहे-बगाहे 2019 में मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए मंदिरों की आय पर 10 प्रतिशत का टैक्स लगाने का फैसला जनता को याद आ ही जाता है। लोगों का मानना है कि कमलनाथ अब चुनावी लाभ के लिए खुद को हिंदू बता रहे हैं और अपने समर्थन में छिंदवाड़ा में बनाए गए हनुमान मंदिर का उदाहरण दे रहे हैं।
हिंदुओं ने काफी विरोध किया था कमलनाथ सरकार का
सितंबर 2019 के अंतिम सप्ताह में होशंगाबाद के कलेक्टोरेट में जिला स्तरीय शासकीय देवस्थान प्रबंध समिति की पहली बैठक हुई थी। उसमें विधायक डॉ. सीतासरन शर्मा, विधायक विजयपाल सिंह, नपाध्यक्ष अखिलेश खंडेलवाल, जिपं अधयक्ष कुशल पटेल एवं विधायक सिवनीमालवा के प्रतिनिधि ने शासकीय देवस्थान प्रबंध नियम 2019 पर आपत्ति दर्ज करवाई। विधायक डॉ. शर्मा ने कहा था कि इस नियम से शासन, देवस्थानों (जो कि आस्था का केंद्र होते हैं) पर प्रशासन के द्वारा अपना कब्जा करना चाहता है। हिन्दू समाज कभी स्वीकार नहीं करेगा कि शासन - प्रशासन उनके धार्मिक मामलों में दखल दें।
शिवराज सरकार ने दी हिंदुओं को राहत
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्य के हिन्दू मंदिरों को लेकर किए गए अपने वादे को निभाया है। अप्रैल 2023 में उन्होंने ऐलान किया था कि मंदिरों की गतिविधियों पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं रहेगा। मंदिर की जमीनों को कलेक्टर नहीं, बल्कि पुजारी निलाम कर सकेंगे। साथ ही उन्होंने निजी मंदिरों के पुजारियों को भी सम्मानजनक मानदेय देने की बात कही थी। लगभग एक महीने बाद उनकी सरकार ने इन फैसलों पर मुहर लगा दी।
हिन्दू मंदिरों के लिए मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार लगातार काम कर रही है। पिछले साल पुजारियों को बढ़ा हुआ मानदेय देने के आदेश जारी किए गए थे। जिन मंदिरों या पुजारियों के पास कृषि योग्य भूमि नहीं है, उन्हें 5000 रुपए का मासिक भत्ता दिया जा रहा है। जिन मंदिरों या पुजारियों के पास 5 एकड़ कृषि भूमि है, उन्हें भी ढाई हजार रुपए हर महीने मिलेंगे। गरीब पुजारियों के जीवन-यापन के लिए राज्य सरकार ने ये निर्णय लिया है।