45 दिन में 390 किलोमीटर की दंडवत यात्रा
जैसलमेर के रामदेवरा में बाबा के मेले में श्रद्धा के अलग-अलग रूप देखने को मिल रहे हैं। द्वारकाधीश भगवान के अवतार बाबा रामदेव की धर्मनगरी रामदेवरा में इन दिनों आस्था का सैलाब उमड़ रहा है। जगह-जगह बाबा रामदेव के जयकारों के साथ श्रद्धालु रामदेवरा नगरी में प्रवेश कर रहे हैं। इसके चलते सड़कों और गलियों में हर जगह बाबा रामदेव के जयकारों की आवाज ही सुनाई दे रही है। वहीं, रंग-बिरंगी बाबा की ध्वजाएं लिए श्रद्धालुओं की आस्था के बीच वासखेड़ा, तहसील गोगुंदा उदयपुर निवासी लालूराम पुत्र नानाराम खराड़ी सड़क पर लेटते हुए अपने पूरे परिवार के साथ रामदेवरा पहुंच रहे हैं।
हाथ में नारियल, हाथ ठेले पर बाबा रामदेव की तस्वीर और परिवार का सामान डाले पूरे परिवार के साथ लालूराम वाणीनाथ द्वार पहुंचा और वहां धोक दी। सड़क पर लेटते हुए रामदेवरा पहुंच रहे लालूराम की बाबा रामदेव के प्रति आस्था को देख स्थानीय लोग भी उनके साथ जुड़ने से खुद को रोक नहीं पाए।
उदयपुर के गोगुंदा से 45 दिनों में 390 किलोमीटर का सफर तय कर रामदेवरा पहुंचे लालूराम ने बताया कि वह और उसके पिता गांव में बने बाबा रामदेव के मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं। तब से बाबा रामदेव के प्रति काफी आस्था है। 13 साल पहले मैं और मेरा परिवार पारिवारिक कष्टों से जूझ रहे थे। जिंदगी में काफी तनाव था। एक रात बाबा रामदेव सपनों में आए और परचा दिया। उन्होंने सपने में आकर आदेश दिया कि रामदेवरा पहुंचकर समाधि पर धोक दो। सपने में मिले आदेश के साथ ही अगले दिन रामदेवरा के लिए निकल पड़ा और बाबा रामदेव की समाधि के धोक दिए। तब से लेकर परिवार में खुशहाली और सुख समृद्धि है।
रोज लेटकर करते हैं पांच किलोमीटर का सफर
लालूराम ने बताया कि वह पांच अगस्त को गोगुंदा से बाबा रामदेव की समाधि के दर्शनों के लिए रवाना हुआ था। रोज वह पांच किलोमीटर का सफर तय किया। उन्होंने बताया कि 13 साल पहले पैदल बाबा रामदेव की समाधि के दर्शनों के लिए आया। फिर कुछ साल मोटरसाइकिल पर दर्शनों के लिए आया। अब पिछले पांच सालों से सपरिवार पैदल बाबा रामदेव की समाधि के दर्शनों के लिए आ रहा हो। इस साल लेटकर 45 दिनों में बाबा रामदेव की समाधि के दर्शनों के लिए पहुंचा हूं।