जयपुर । प्रदेश में जन आस्था के केन्द्र एवं धार्मिक स्थलों के आस-पास स्वच्छता बनाए रखने के लिए विकास अधिकारियों को विजन एवं मिशन मोड में काम करना जरूरी है। इसमें स्थानीय आवश्यकता के अनुसार मॉडल बनाकर आगे बढना होगा। सूखे और गीले कचरे के निस्तारण के साथ ही इन स्थलों को प्लास्टिक मुक्त बनाने की दिशा में प्रयास एवं नवाचार किए जाने चाहिए।
पंचायती राज विभाग के शासन सचिव नवीन जैन ने चौपाल भवन स्थित सभागार में ''इंटीग्रेटेड प्लास्टिक वेस्ट मेनेजमेंट कॉम्प्लेक्स (आईपीडब्ल्यूएमसी) के विकास में विकास अधिकारियों की भूमिकाÓÓ विषयक एक दिवसीय आमुखीकरण कार्यशाला में विकास अधिकारियों की सम्बोधित करते हुए यह बात कही। सालासर धाम, बेणेश्वर धाम, जीण माता, महावीर जी, कैला देवी, एकलिंग जी, मेहंदीपुर बालाजी धाम, दिलवाड़ा, बूटाटी धाम, इंद्रगढ माता, वीर हनुमानजी जैसे दो दर्जन से अधिक धार्मिक स्थलों वाली पंचायत समितियों के विकास अधिकारी इस आमुखीकरण में शामिल हुए।  जैन ने कहा कि धार्मिक स्थलों को प्लास्टिक मुक्त बनाना और कचरे-गंदगी का समुचित निस्तारण आध्यात्मिक भावना, पर्यावरण संरक्षण एवं अगली पीढ़ी के भविष्य के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा कि हर धार्मिक स्थल की परिस्थितियां उन पर होने वाले आयोजनों के समय एवं अवधि, आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या, उनके ट्रस्ट की सक्रियता, होटलों, गेस्ट हाउसों के निर्माण एवं उनकी एसोसिएशनों के प्रबन्धन के आधार पर अलग होती हैं। ऐसे में उस स्थान विशेष की स्थितियों को ध्यान में रखकर विकास अधिकारियों को कचरे की मात्रा, कचरा पैदा करने वाले कारक, उसके निस्तारण के तरीके आदि को ध्यान में रखकर प्लान बनाना होगा।