भोपाल । मध्यप्रदेश की राजनीति में इनदिनों विधानसभा चुनावों को लेकर गहमा गहमी बनी हुई है। भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियां सत्ता में काबिज होने के लिए रणनीति बना रही हैं। भाजपा रणनीतिक तैयारी में कांग्रेस से काफी आगे है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के नेतृत्व में भाजपा सभी जातियों और क्षेत्रवाद को साधने में जुटी हुई है। पार्टी का सबसे अधिक फोकस एससी-एसटी के साथ ओबीसी की छोटी जातियों पर भी है।
गौरतलब है कि प्रदेश में एससी-एसटी और ओबीसी सबसे बड़े वोट बैंक हैं। एससी और एसटी को साधने के लिए भाजपा लगातार प्रयास कर रही है। अब पार्टी ओबीसी की छोटी जातियों को साधने का अभियान चलाएगी। प्रदेश में हमेशा से ही एससी-एसटी का समीकरण सत्ता की चाबी मानी जाती है। क्योंकि इन दोनों वर्गों के लिए प्रदेश की 36 फीसदी यानी 82 विधानसभा सीटें आरक्षित हैं। ऐसे में जिस दल को इन वर्गों का साध मिलता है, उसका सत्ता तक पहुंचने का रास्ता आसान हो जाता है। बीते चुनाव में आदिवासी क्षेत्रों की अधिकतर सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली थी। जबकि अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों पर कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया जिसके चलते कांग्रेस 2018 के विधानसभा चुनाव में सूबे की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। इसलिए इस बार भाजपा एससी-एसटी के साथ ही ओबीसी की छोटी जातियों को साधने की कोशिश में जुट गई है।

अगले महीने से शुरू होंगे कई कार्यक्रम
भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि पार्टी ने 51 फीसदी वोट के साथ 200 से अधिक सीटें जीतने का जो टारगेट सेट किया है उसके लिए सभी जातियों और सभी क्षेत्रों में पैठ बढ़ानी होगी। इसलिए  एससी-एसटी वर्ग के लोगों को साधने के लिए योजनाओं का लाभ दिलाने के साथ भाजपा का फोकस अब अगले माह से ओबीसी वर्ग पर होगा। इसके लिए भाजपा ने ओबीसी वर्ग की सभी बड़ी और छोटी जातियों के लोगों से संपर्क साधने का कार्यक्रम तय किया है। पार्टी के स्थापना दिवस छह अप्रैल से अंबेडकर जयंती 14 अप्रैल तक इसके लिए ओबीसी मोर्चा के प्रदेश में रहने वाले सभी राष्ट्रीय और प्रदेश पदाधिकारी तथा जिला और मंडल स्तर के पदाधिकारी कम से कम दस गांवों में जाकर संवाद करेंगे। प्रदेश संगठन के निर्देश पर पार्टी के ओबीसी मोर्चा ने जो तैयारी की है उसमें कहा गया है कि ओबीसी के छोटी जाति के जिन लोगों को अब तक आरक्षण का लाभ नहीं मिला है, उन्हें रोहिणी कमीशन के माध्यम से आरक्षण दिलाने के लिए मोर्चा पदाधिकारी और कार्यकर्ता काम करेंगे। केंद्रीय और नवोदय विद्यालयों में ओबीसी को आरक्षण का लाभ दिलाने का काम भी करना है। मोर्चा ने यह भी तय किया है कि ओबीसी वर्ग के जिन अधिकारियों, कर्मचारियों और मजदूरों के विरुद्ध अन्याय हुआ है उन्हें केंद्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग में शिकायत कराकर न्याय दिलाने का काम भी करना है। जो जातियां प्रदेश में ओबीसी की सूची में हैं लेकिन केंद्र की सूची में ओबीसी कैटेगरी में नहीं हैं, उनके लिए भी मोर्चा ने आवेदन कराने के लिए काम करने को कहा है। इस दौरान पिछड़ा वर्ग के बड़े सम्मेलनों का आयोजन भी किया जाएगा। ओबीसी वर्ग की बड़ी जातियों को लेकर भी मोर्चा द्वारा कार्यक्रम कराने के लिए क्षेत्र चिन्हित किए जाएंगे।

ओबीसी को साधे बगैर चुनाव को जीतना मुश्किल
मप्र की सियासत की सुई एक बार फिर ओबीसी वर्ग की ओर घूम गई है। अब इसे जरूरत कह लें या सियासी मजबूरी लेकिन ओबीसी को साधे बगैर विधानसभा चुनाव को जीतना बेहद मुश्किल है। यही वजह है कि इस वर्ग को साधने के लिए भाजपा ने बड़ा दांव चल दिया है। पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री रामखेलावन पटेल ने बताया कि ओबीसी वर्ग के लिए सरकार नया प्लान लाई है। इसके तहत स्वरोजगार के लिए साढ़े बयालीस करोड़ रुपए मंजूर किए गए हैं। आंकड़ों पर नजर डालें तो मप्र में करीब 52 फीसदी ओबीसी वर्ग की आबादी है। विधानसभा की 100 से ज्यादा सीटों पर ओबीसी वर्ग का दखल है और फिलहाल सदन में ओबीसी वर्ग के 60 विधायक हैं। इसके साथ ही प्रशासनिक क्षेत्र में 25.83 फीसदी पदों पर ओबीसी वर्ग काबिज है। जाहिर है, मप्र के सबसे बड़े वोट बैंक पर कांग्रेस और भाजपा दोनों की ही नजर हैं और दोनों ही दल एक-दूसरे को ओबीसी का सबसे बड़ा हितैषी करार देने में जुटे हैं।

किंगमेकर बनेंगे ओबीसी वोटर्स
यह तो तय है कि विधानसभा चुनाव में ओबीसी वोटर्स किंगमेकर होंगे। इसलिए प्रदेश में भाजपा ओबीसी मोर्चा ओबीसी वर्ग के सामाजिक नेताओं, सेलिब्रिटी और प्रतिभावान लोगों की सूची तैयार करेगा। यह काम 25 फरवरी तक पूरा करना है। 15 फरवरी तक केंद्र और राज्य सरकार की पिछड़ा वर्ग योजनाओं की सूची तैयार करना होगा। 11 अप्रेल को महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती पर मंडल स्तर पर कार्यक्रम आयोजित करने की तैयारी भी मोर्चा ने की है। इसके साथ ही 15 मार्च तक जिला कार्यसमिति और 30 मार्च तक मंडल कार्यसमिति की मोर्चा बैठकें करके रिपोर्ट प्रदेश संगठन को दी जाएगी।