बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने बुधवार को यह दावा करते हुए विवाद खड़ा कर दिया कि हिंदुओं की धार्मिक पुस्तक रामायण पर आधारित एक किताब समाज में नफरत फैलाती है।  नालंदा मुक्त विश्वविद्यालय के 15वें दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने रामचरित मानस और मनुस्मृति को समाजित को विभाजित करने वाली पुस्तकें बताया। 

शिक्षा मंत्री ने कहा, मनुस्मृति को क्यों जलाया गया, क्योंकि उसमें एख बड़े तबके के खिलाफ बहुत सारे अपशब्द लिखे गए थे। रामचरित मानस का विरोध क्यों किया गया और किस हिस्से का विरोध किया गया?  उन्होंने कहा, निचली जाति के लोगों को शिक्षा प्राप्त करने की अनुमति नहीं थी और रामचरितमानस में कहा गया है कि निचली जाति के लोग जहरीले होते हैं। शिक्षा रूपी दूध पीकर सर्प (सांप) जैसे हो जाते हैं। 

उन्होंने कहा कि मनुस्मृति और रामचरितमानस ऐसी पुस्तकें हैं, जो समाज में नफरत फैलाती हैं, क्योंकि यह समाज में दलितों-पिछड़ों और महिलाओं को शिक्षा प्राप्त करने से रोकती हैं। चंद्रशेखर ने कहा, मनुस्मृति, रामचरित मानस, गुरु गोलवलकर की बंच ऑफ थॉट्स..ये ऐसी किताबें हैं जो नफरत फैलाती हैं। नफरत से देश महान नहीं बनेगा, प्यार से देश महान बनेगा।