भोपाल ।  इमरजेंसी ड्यूटी और वीआइपी विजिट के दौरान तैनात किए जाने वाले पुलिसकर्मियों की एक दिन की डाइट पर पुलिस विभाग प्रति व्यक्ति 70 रुपए खर्च करेगा। इस 70 रुपए की राशि में ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर शामिल है। पुलिसकर्मियों के मुताबिक मौजूदा समय में एक समय का खाना भी कम से कम 50 से 60 में मिलता है। इधर, भोपाल पुलिस ने भोजन मुहैया कराने टेंडर प्रक्रिया शुरू की है। ऐसे फर्म की तलाश की जा रही है जो तय राशि में भोजन मुहैया करा सके।
पिछले दिनों पीएम मोदी के भोपाल दौरे के समय झाबुआ, आलीराजपुर समेत अन्य जिलों से बल बुलाया गया था। भोजन व्यवस्था भोपाल पुलिस ने की थी। पुलिसकर्मियों को नाश्ता और लंच ही दिया गया। पुलिस कर्मियों ने आला अधिकारियों से बात की तो बताया गया कि डिनर का प्रावधान नहीं है। ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। जानकारी के मुताबिक राजधानी में भोजन मुहैया कराने वाली फर्म नाश्ते और लंच में पूड़ी-सब्जी, नाममात्र का नमकीन, अचार मुहैया कराती रही है। ऐसे में इतनी कम राशि में भविष्य में भी यही डाइट मिलेगी। पुलिसकर्मी राशि बढ़ाने की मांग कर कर रहे हैं।
प्रदेश में पुलिस की पगार तो बढ़ गई लेकिन भत्तों का रेट 44 साल पुराना है। सरकारी खाते में आज के दौर में भी पुलिस साइकिल चला रही है। इसलिए पुलिसकर्मियों को साइकल के मेंटेनेंस के लिए 18 रूपया महीना भत्ता तय है। हालांकि फेहरिस्त लंबी है, वर्दी की धुलाई से लेकर जवानों को मजबूत रखने के लिए पौष्टिक आहार के लिए खर्चा भी दिया जाता है। लेकिन पुलिसकर्मियों की नजर में भत्ते लेना न लेना बराबर हैं। क्योंकि भत्ते में जो पैसा मिलता है उसमें एक दिन का खर्चा नहीं चलता। प्रदेश पुलिस को साइकल, वर्दी धुलाई, मकान किराया, पौष्टिक आहार सहित विशेष परिस्थितियों में सुबह से शाम तक ड्यूटी के दौरान नाश्ते और भोजन के लिए भत्ते का प्रावधान है। यह भत्ते फोर्स को दिए भी जा रहे हैं। लेकिन भत्तों की जो रकम तय है वह हैरान करने वाली है। पुलिसकर्मी कहते हैं इन्हें भत्ता कहें या मजाक समझ नहीं आता। आज पेट्रोल के दाम 108 रुपए पार कर रहे हैं तब हमें साइकल के रख रखाव के लिए 18 रूपया महीना भत्ता मिल रहा है। इस रकम तो पंक्चर ठीक नहीं होती। वर्दी धुलाई के लिए 60 रुपया महीना तय है जबकि धोबी पेंट शर्ट की धुलाई के 40 रुपए लेता है। भत्ते की रकम महंगाई के हिसाब से हो तो ठीक है। शहर के रिटायर्ड एसपी ने बताया कि पुलिस में जो भत्ते दिए जा रहे हैं वह बरसों पहले तय हुए थे। इनमें इजाफा क्यों नहीं होता सवाल पूरे महकमे को परेशान करता है। क्योंकि वेतन को लगातार रिवाइज किया जाता है। केंद्र सरकार फोर्स का वेतन बढ़ाती है तो राज्य सरकार भी उसी हिसाब से पुलिस का वेतन रिवाइज करती है। लेकिन भत्तों को लेकर कोई बात नहीं होती। सबको पता है आज के दौर में साइकिल नहीं चलती, फिर भी साइकल भत्ता दिया जा रहा है। अफसर भत्ते मंजूर कर रहे हैं। इस पर मुख्यालय स्तर पर विचार होना चाहिए। सरकार के सामने बात रखना चाहिए, तब स्थिति में बदलाव होगा। लेकिन फोर्स की समस्या सामने नहीं आती इसलिए पुराने ढर्रे पर भत्ते चल रहे हैं। यूपी में थानों में मैस चलती है, एमपी में चलन नहीं है। पुलिस की ड्यूटी राउंड द क्लॉक की है। देहात में पुलिसकर्मी खुद खाना बनाते हैं या होटल ढाबों के सहारे पेट भर रहे हैं। यह खामियां फोर्स के लिए समस्या हैं।