प्रयागराज । यूपी के प्रयागराज में बहला फुसलाकर शादी करने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एफआईआर को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि शांतिपूर्वक तरीके से जीवन निर्वाह कर रहे लोगों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई करना सही नहीं है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि जोड़े के बीच सच्चा प्यार हो तो कानून की कठोरता या राज्य की कार्रवाई के जरिए इसे नियंत्रित नहीं किया जा सकता है। भले ही वह वयस्क होने की कगार पर हों। 
यह आदेश न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी की पीठ ने उन्नाव के याची सहित तीन लड़कों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई को रद्द करते हुए दिया है। मामले में याचियों पर आरोप था कि उन्होंने लड़कियों को बहला-फुसलाकर शादी कर ली। माता-पिता ने उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करा दी। याचियों की ओर से उसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में माता-पिता की ओर से लड़के के खिलाफ दर्ज कराई गई प्राथमिकी उनके वैवाहिक रिश्ते में जहर घोलने जैसा है। कोर्टों को भी कभी-कभी ऐसे किशोर जोड़े के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई को सही ठहराना पड़ता है जो शादी करते हैं और शांतिपूवर्क जीवन जीते हैं और कानून के प्रति भी सम्मान बनाए रखते हैं। ऐसे मामलों में मानवीयता और व्यवहारिकता का भी ध्यान देने की जरूरत है। कोर्ट ने लड़कियों के बयान को देखते हुए कहा कि वे अपने साथी के साथ रहना चाहती हैं। उन्हें बच्चे का भी आशीर्वाद प्राप्त है। ऐसे में कार्रवाई जारी रखना सही नहीं है। एसे में कोर्ट ने आपराधिक कार्रवाई को रद्द कर दिया।