डेंगू के बाद जमशेदपुर में अब निपाह का आया कहर
डेंगू के बाद अब शहर में निपाह वायरस का खतरा मंडराने लगा है। राज्य स्वास्थ्य विभाग ने पूर्वी सिंहभूम जिले को अलर्ट भेजा है। जिला सर्विलांस विभाग ने इसे गंभीरता से लेते हुए टाटा जू, वन विभाग और पशु विभाग तथा सभी निजी व सरकारी अस्पतालों भी पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि जमशेदपुर में संक्रमण फैलने का खतरा अधिक रहता है। ऐसे में सभी को सावधान होने की जरूरत है ताकि वायरस को पनपने से रोका जा सके।
पर्यटकों को अतिरिक्त सावधानी बरतने की सलाह
केरल में निपाह वायरस के कई मामले सामने आ चुके हैं। टाटा जू और वन विभाग में चमगादड़ों की संख्या अधिक है। उसके आस-पास पर्यटकों को नहीं जाने की सलाह दी गई है। सूअर से भी यह बीमारी फैल सकती है।
जिला सर्विलांस विभाग ने जिन अस्पतालों को पत्र भेजा है उनमें महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कालेज अस्पताल, टाटा मोटर्स अस्पताल, टाटा मुख्य अस्पताल (टीएमएच) टिनप्लेट अस्पताल, मर्सी, गुरुनानक सहित अन्य अस्पताल शामिल हैं।
तेजी से फैलता है यह संक्रमण
अस्पतालों को निर्देश दिया गया है कि निपाह वायरस से संबंधित कोई भी मरीज सामने आए, तो इसकी सूचना तत्काल विभाग को दें ताकि उसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जा सके।
इसके साथ ही अस्पतालों को आइसोलेशन वार्ड भी बनाने का निर्देश दिया गया है। चूंकि, इसका संक्रमण काफी तेजी से फैलता है। वहीं, चिंता का विषय यह भी है कि इस वायरस से संक्रमित लगभग 60 प्रतिशत से अधिक मरीजों की मौत हो जाती है।
निपाह वायरस क्या है?
जिला महामारी रोग विशेषज्ञ डा. असद ने बताया कि निपाह वायरस जानवरों से इंसानों में फैलने वाली बीमारी है। इसे जूनोटिक बीमारी भी कहा जाता है। ये चमगादड़ों और सूअर से इंसानों में फैलता है।
ऐसे में इससे दूर रहने की जरूरत है। इंसानों में इसका संक्रमण चमगादड़ द्वारा खाए गए फलों को खाने से भी हो सकता है। इसके अलावा बकरी, घोड़े, कुत्ते और बिल्लियों से भी फैल सकता है।
केरल में निपाह वायरस तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में यहां भी सतर्क रहने की जरूरत है। रांची स्वास्थ्य विभाग से इस संदर्भ में दिशा-निर्देश प्राप्त हुआ है। उसके आधार पर यहां भी कार्रवाई की गई है। सभी संबंधित विभागों को पत्र भेजा गया है
क्या है लक्षण
सिरदर्द के साथ बुखार होना।
पेट में दर्द होना।
सांस लेने में दिक्कत।
दिमाग में सूजन होना।
24 से 28 घंटे के अंदर बीमारी बढ़ने पर मरीज कोमा में भी चला जाता है।