रविवार को चुनाव आयोग ने राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित कर दिए। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पांच साल के अंतराल के बाद एक बार फिर भाजपा भारी बहुमत हासिल करते हुए राज्य में सरकार बनाने जा रही है। जबकि मध्य प्रदेश में पार्टी ने सत्ता बरकरार रखी है। यह चुनाव दोनों राष्टीय पार्टियों के बीच था, लेकिन माना गया कि चुनाव राज्य के भारी-भरकम नेताओं के बीच लड़ा गया है।

भाजपा को राजस्थान की 200 विधानसभाओं में से 115 और कांग्रेस को 69 सीटें जीत मिली है। मध्य प्रदेश में भाजपा को 163 और कांग्रेस को 66 सीटों पर जीत मिली है, वहीं छत्तीसगढ़ मे भाजपा को 54 और कांग्रेस को 35 सीटों पर विजय प्राप्त हुई है।

भाजपा-कांग्रेस में इन नेताओं का कद बढ़ा या घटा

अब जब तीनों राज्यों के परिणाम घोषित हो चुके हैं, ऐसे में राज्य के उन नेताओं की बात करना जरूरी है जिनके कंधों पर पार्टी को जिताने की जिम्मेदारी थी। इस चुनाव ने यह तय कर दिया है कि भाजपा और कांग्रेस में किसका कद बढ़ा है और किस नेता का कद घटा है।

आइए जानते हैं कि राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ भाजपा में किस नेता का कद बढ़ा है, तो वहीं दूसरी तरफ हार का मुंह देखने वाली कांग्रेस खेमें में किस नेता का कद घटा है।

राजस्थान में इन नेताओं का कद बढ़ा

पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का कद बढ़ा
राजस्थान की सबसे लोकप्रिय नेता मानी जाने वाली पूर्व सीएम वसुंघरा का कद पार्टी और राज्य में बढ़ गया है। राजस्थान की जीत में उनकी खासी भूमिका है। उन्होंने प्रदेश के नेताओं में से सबसे ज्यादा 35 रैली और दो रोड शो किए। इसके साथ ही वसुंधरा राजे ने कई बागी नेताओं को पार्टी से दोबारा जोड़ा का काम किया और सभी को एकजुट किया।

केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत

केंद्रीय जलशक्ति मंत्री शेखावत राजस्थान विधानसभा चुनाव से महीनों पहले सक्रिय हो गए थे। उन्होंने पार्टी में अन्य दूसरे दलों से आने वाले नेताओं को शामिल करने की जिम्मेदारी बखूबी निभाई। मंत्री शेखावत ने कांग्रेस के आधा दर्जन से अधिक वरिष्ठ नेताओं को पार्टी में शामिल करवाया। वहीं, भाजपा में कई जगह बागी प्रत्याशियों की नाराजगी दूर की और पार्टी के पक्ष में उनको बिठाया।

केंद्रीय विधि मंत्री अर्जुन राम मेघवाल

राजस्थान की जीत में केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल का भी बड़ा योगदान है। मेघवाल बीकानेर से लोकसभा सांसद और पूर्व आईएएस अफसर हैं। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ संसद में हमेशा दिखाई देने वाले नेता हैं। अर्जुन मेघवाल पीछे की पंक्ति में रहकर पार्टी और सरकार में आगे रहने की कोशिश करते हैं। मेघवाल भाजपा के बड़े दलित नेता हैं। वह संकल्प पत्र समिति के अध्यक्ष थे और प्रदेशभर में सक्रिय रहे।

इनका नेताओं का कद घटा

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कद घटा
अशोक गहलोत राज्सथान के तीन बार के मुख्यमंत्री हैं। उनके कंधों पर कांग्रेस ने नाराज नेताओं को साथ रखकर पार्टी को जिताने का दारोमदार था, लेकिन वो अंत तक वरिष्ठ नेता सचिन पायलट को साथ रखने में नाकामयाब रहे। तीसरी बार गहलोत के सीएम रहते हुए कांग्रेस राजस्थान में चुनाव हारी है।

वरिष्ठ नेता गहलोत ने ज्यादातर वर्तमान विधायकों को टिकट दिलवाए उनमें से अधिकतर नेता चुनाव हार गए। गहलोत के कई निर्णय ऐसे हैं जिससे पार्टी को नुकसान हुआ। अब जब कांग्रेस राज्य का चुनाव हार गई है तो अशोक गहलोत का कद पार्टी में घटेगा।

विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी

राजस्थान में भाजपा की जीत की आंधी में बुजुर्ग नेता और विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी चुनाव हार गए हैं। जोशी राजस्थान में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं। वह भाजपा के विश्वजीत सिंह से चुनाव हार गए। ऐसे में उनका पार्टी में कद घटना तय माना जा रहा है।

मध्य प्रदेश में इन नेताओं का कद बढ़ा

सीएम शिवराज सिंह चौहान का कद बढ़ा
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चुनाव में अथक मेहनत की। उन्होंने सर्वाधिक 165 सभाएं कीं। वह एक दिन में आठ-आठ रैलियां करते थे। मुख्यमंत्री होने के नाते जीत का बड़ा श्रेय उनके नाम रहेगा ही।

प्रदेश संगठन के प्रमुख विष्णु दत्त शर्मा
भाजपा को मिले प्रचंड बहुमत में प्रदेश संगठन के प्रमुख विष्णु दत्त शर्मा का भी बड़ा योगदान है। प्रदेश संगठन प्रमुख होने के नाते उनकी अहम हिस्सेदारी मानी जाएगी।

केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर
केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने इस बार विधानसभा का चुनाव लड़वाया, जिसमें उन्हें जीत मिली है। वह भाजपा को प्रदेश में पहले भी जीत दिला चुके हैं। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पार्टी की रणनीति को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई। भाजपा की जीत ने उनका कद पार्टी में बढ़ा दिया है।

केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल
पांच बार के सांसद केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल को भी भाजपा ने इस बार विधानसभा का चुनाव लड़वाया है। उन्होंने भी शानदार जीत हासिल की है। वह पहली बार विधानसभा चुनाव जीते। भाजपा ने प्रहलाद पटेल को राज्य के अन्य सीटों पर प्रभाव बढ़ाने के लिए मैदान में उतारा था।

मध्य प्रदेश में इन नेताओं का कद घटा
कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष कमल नाथ

मध्य प्रदेश में कांग्रेस की हार की जिम्मेदारी सीधे-सीधे कमलनाथ के कंधों पर जा रही है। कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ पार्टी की तरफ से मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे। कांग्रेस आलाकमान ने विधानसभा चुनाव के लिए उनको फ्री हैंड दिया था, लेकिन चुनाव में पार्टी की प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा। इस हार के बाद कमलनाथ का कांग्रेस में ग्राफ घट गया है।

राज्य सभा सांसद दिग्विजय सिंह
दिग्विजय सिंह मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं। वह राज्य में कांग्रेस के प्रमुख रणनीतिकार माने गए, लेकिन उनकी रणनीति काम नहीं आई। उनपर अपने लोगों को टिकट दिलवाने के आरोप भी लगे हैं। पार्टी की हार के बाद कांग्रेस में उनक कद घटेगा।

डा. गोविंद सिंह और सज्जन सिंह वर्मा
मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे डा. गोविंद सिंह सात बार के विधायक रहे हैं। मगर, भाजपा की आंधी में गोविंद सिंह अपनी ही सीट बचा पाने में नाकाम रहे और वह चुनाव हार गए। वहीं, पूर्व मंत्री रहे सज्जन सिंह वर्मा भी अपनी ही सोनकच्छ सीट नहीं बचा पाए। सज्जन सिंह एससी वर्ग के बड़े नेता माने जाते हैं, लेकिन अपनी ही सोनकच्छ सीट नहीं बचा पाए।

छत्तीसगढ़ में इन नेताओं का कद बढ़ा

पूर्व सीएम डा. रमन सिंह का कद बढ़ा
छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम डा. रमन सिंह पार्टी को एकजुट करने में कामयाब रहे। राज्य के तीन बार के मुख्यमंत्री रह चुके रमन सिंह सहज, सरल व्यवहार के लिए जाने जाते हैं। इस बार भी वह विधानसभा चुनाव जीतकर आए हैं। पांच साल पहले सरकार जाने का बाद से सार्वजनिक जगहों में कम ही दिखाई देने वाले रमन सिंह का भाजपा में कद ऊंचा हुआ है।

प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव
छत्तीसगढ़ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव के कंधों पर पार्टी को जिताने की अहम जिम्मेदारी सौंपी थी, जिसपर वो खरे उतरे। भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें सांसद का टिकट देने के बाद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनाकर दोहरी जिम्मेदारी दी थी। साव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नजर में आए। राज्य के प्रमुख चुनावी सभाओं वे मंच को बांधने में कामयाब रहे।

कद्दावर भाजपा नेता बृजमोहन अग्रवाल
कद्दावर भाजपा नेता बृजमोहन अग्रवाल आठवीं बार विधायक चुने गए हैं। वह छत्तीसगढ़ में भाजपा के कद्दावर नेताओं में गिने जाते हैं। इस बार भी वह रायपुर दक्षिण का अभेद्य किला कब्जे में रखने में सफल हुए हैं।

पूर्व आइएएस ओपी चौधरी
पूर्व आइएएस और भाजपा महामंत्री ओपी चौधरी को इस चुनाव में बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई थी। केंद्रीय शीर्ष नेतृत्व ने उन पर भरोसा जताया, जिसमें वे कामयाब रहे।

इन नेताओं का कद पार्टी में घटा

भूपेश बघेल का कद घटा
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कांग्रेस में कद घट गया है। महादेव एप मामले में सीधे तौर पर नाम आने, शराब, पीएससी घोटाले जैसे कई मुद्दे रहे, जिससे उनकी छवि को नुकसान पहुंचा। मुख्यमंत्री होने के नाते छत्तीसगढ़ में हार की ठीकरा इनके सर पर ही आएगा।

पूर्व उप मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव
पूर्व उप मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव के लिए पार्टी से बगावती तेवर खतरनाक साबित हुआ। टीएस सिंहदेव इस बार अपनी ही सीट नहीं बचा पाए। प्रदेश कांग्रेस में मुख्यमंत्री बघेल के बाद वे दूसरे बड़े चेहरे थे।

मो. अकबर और डा. शिव डहरिया
परिवहन मंत्री रहे मो. अकबर इस बार अपना गढ़ नहीं बचा पाए। भाजपा के नए और युवा प्रत्याशी ने उन्हें चुनाव में हार का स्वाद चखा दिया। वहीं, डा. शिव डहरिया को पार्टी ने बड़ी जिम्मेदारी दी थी, लेकिन लोगों के बीच उनके आचरण और व्यवहार का खामियाजा भुगतना पड़ा।

अमरजीत भगत और ताम्रध्वज साहू
वरिष्ठ कांग्रेस नेता अमरजीत भगत ने इस बार के चुनाव में अपनी मूंछ दांव पर लगाई थी, लेकिन वह चुनाव हार गए हैं। पार्टी में भीतर भी उनके खिलाफ आवाज उठती रही। ऐसे में उनका कद घटना तय माना जा रहा है। ताम्रध्वज साहू कभी मुख्यमंत्री के दावेदार माने जाने थे, लेकिन इस बार के चुनाव में खुद की सीट नहीं बचा पाए। इनकी शीर्ष नेतृत्व को जवाब देने की स्थिति भी नहीं रही।