नई दिल्ली । राजधानी दिल्ली के तितारपुर इलाके में बांस की लड़कियों से बने बड़े-बड़े ढांचे तैयार हो गए हैं, जिन्हें रावण के पुतलों का रूप दिया जा जाएगा। फिलहाल अलग-अलग हिस्सों में बने ढांचों को जोड़ने का काम चल रहा है। कुछ पुतलों पर कागज के कवर चढ़ाने की शुरुआत भी की जा चुकी है। जिसके बाद इसका रंग-रोगन किया जाएगा और तब रावण के ये पुतले पूरी तरह की तैयार हो जाएंगे। दशहरा के मौके पर आयोजित होने वाला रावण-वध कार्यक्रम, रावण के पुतले के दहन के साथ संपन्न होता है, जिसे देश के कई हिस्सों में आयोजित किया जाता है। दिल्ली में भी इस आयोजन को बड़े ही धूमधाम और भव्य तरीके से आयोजित किया जाता है और इस दौरान काफी बड़े-बड़े पुतलों का दहन दिल्ली में होता है। यही वजह है कि दशहरा पूजा से काफी पहले से पुतले बनाने वाले कारीगर इसे बनाने में जुट जाते हैं और हर दिन 10 से 12 घंटे पुतले बना लेते हैं। ये कारीगर कई दिन और रात की मेहनत के बाद पुतलों को तैयार करते हैं। पुतले बनाने वाले कारीगरों का कहना है कि इस साल पुतलों की खासी मांग रहेगी, जिसे देखते हुए अधिक मेहनत करके ज्यादा से ज्यादा पुतलों को तैयार करने की कोशिश में लगे हुए हैं। हालांकि, उनका यह भी कहना है कि पटाखों पर प्रतिबंध और इस साल बढ़ी महंगाई की वजह से वे कम पुतलों को तैयार कर पा रहे हैं, जबकि इस बार पिछले साल की तुलना में इंक्वायरी और ऑर्डर ज्यादा हैं। पुतला बनाने वाले एक कारीगर का कहना है कि, महंगाई का असर इस साल रावण पर भी पड़ेगा। कच्चे माल के दाम बढ़ने से रावण के पुतले के दाम भी प्रति फुट लगभग 200 रुपए बढ़ जाएंगे। सामान से लेकर लेबर तक महंगी हो गई है। बाहर से जो लेबर आते थे, वे नहीं आए हैं। पिछले साल तक जो कारीगर 15 हजार रुपए प्रति महीना लेता था, वह अब 20 हजार मांग रहा है। जो तार पिछले साल 40 रुपए का था, वह अब 50 रुपए का है जो खाकी कागज पहले 40 रुपए प्रति किलो था, वह अब 60 रुपए हो गया है। जबकि रावण का बांस जो पहले 400 रुपए प्रति कौड़ी (20 बांस) मिलता था वह अब 800 रुपए का हो गया है। इस वजह से इस साल रावण के पुतले लगभग 25 से 30 फीसदी तक महंगे बिकेंगे