भोपाल । मध्यप्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली और हरियाणा को भी गंगा-यमुना बेसिन की नदियों के चलते परियोजना में शामिल किया गया है। मध्यप्रदेश पहला ऐसा राज्य है जो इसकी कमेटी बनाकर इसकी बैठक करने जा रहा है। इसके अंतर्गत यमुना की 8 सहायक नदियों को साफ करने पर एक्शन प्लान तैयार किया गया है। अगले चरण में इनकी अन्य सहायक नदियों को भी शामिल किया जाएगा।
स्टेट गंगा कमेटी का अध्यक्ष मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस को बनाया गया है। प्रोजेक्ट के तहत यमुना की 8 सहायक नदियों को शामिल किया गया है। इसमें बेतवा, चंबल, गंभीर, गोधर, कालीसिंध, केन, पार्वती और सिंध नदी को शामिल किया गया है। स्टेट गंगा कमेटी में दस मेंबर रहेंगे। वित्त, वन, नगरीय प्रशासन, पीएचई, जल संसाधन, पर्यावरण, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जैसे विभागों को शामिल किया गया है। इसमें पांच मेंबर पदेन और पांच मेंबर्स विशेषज्ञ होंगे। सभी विभागों ने नदियों को स्वच्छ बनाने को लेकर एक्शन प्लान तैयार कर लिया है।
वन विभाग की योजना के अनुसार अगले पांच साल में 48048 हेक्टेयर में इन नदियों के किनारे पौधे रोंपे जाएंगे। इस पर करीब 542.23 करोड़ रुपए खर्च आएगा। नदियों के किनारे 2-2 किलोमीटर तक पौधे रोंपे जाएंगे। इससे मिट्टी का कटाव रूकेगा। पेड़ों से पानी भी स्वच्छ होगा। वन विभाग के 18 डिविजन मिलकर कैचमेंट का ट्रीटमेंट करेंगे। चूंकि इन नदियों के किनारे कहीं उपजाऊ तो कहीं पथरीला इलाका है तो हर इलाके में अलग-अलग तरह के पौधे रोंपे जाएंगे। अभी वन विभाग नर्मदा और उसकी सहायक नदियों में 42 तरह से ट्रीटमेंट करता है। नर्मदा में 2-2 और इसकी सहायक नदियों के किनारे 1-1 किलोमीटरे के दायरे में पौधरोपण किया जाता है।
ये नदियां प्रदेश के 34 जिलों से होकर गुजरती हैं। केंद्र सरकार ने 11 जुलाई 2017 में कमेटी बनाई थी। यमुना बेसिन का मध्यप्रदेश में करीब 11,929 स्केवयर किलोमीटर का इलाका है, जो कुल बेसिन का 27.11 प्रतिशत है। केंद्र की ओर से अब पांच नदियों खान, मंदाकिनी, सिवनी, शिप्रा और मुरार को स्वच्छ बनाने के लिए करीब सात सौ करोड़ का फंड स्वीकृत गया। शहरी इलाकों की इन नदियों की हालत आज भी दयनीय है। इनमें आज भी सीवेज मिल रहा है। बैठक में इन पांचों प्रोजेक्ट का रिव्यू भी होगा।