उत्तर प्रदेश में बढ़ते ट्रैफिक को देखते हुए सुपर स्टेट हाईवे (एसएसएच) बनाए जाएंगे। ये परियोजनाएं भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की मदद से निर्मित की जाएंगी। ट्रैफिक को देखते हुए इनकी कुल चौड़ाई 4-6 लेन होगी। सुपर स्टेट हाईवे पर टोल भी लिया जाएगा। 

इससे होने वाली आय का एक हिस्सा ग्रामीण मार्गों के विकास पर खर्च होगा। यानी, इस योजना के लागू होने पर ग्रामीण सड़कों के लिए भी पर्याप्त राशि उपलब्ध हो सकेगी। इस योजना में पहले चरण में 1000-1500 किमी स्टेट हाईवे शामिल किए जाएंगे। 

इसके लिए यूपी पीडब्ल्यूडी और एनएचएआई के बीच शीघ्र ही एमओयू किए जाने की तैयारी है। वर्तमान में नई सड़कों को नेशनल हाईवे का दर्जा दिए जाने पर रोक है। इसलिए एसएसएच विकसित करने का फैसला किया गया है।

पीडब्ल्यूडी विभागाध्यक्ष को निर्देश दिए गए हैं कि वे उन स्टेट हाईवे को चिह्नित करें, जिन्हें एसएसएच का दर्जा दिया जा सकता है। ट्रैफिक के लिहाज से इन सड़कों को दो श्रेणियों में बांटा जाएगा। एक, जहां पीसीयू (पैसेंजर कार यूनिट) 20-30 हजार के बीच है और दो, जहां पीसीयू 30 हजार से ज्यादा है। आवश्यकता के अनुसार, इन सड़कों को 4 लेन या उससे अधिक लेन में चौड़ा किया जाएगा।

राज्य सरकार जमीन उपलब्ध कराने के साथ ही यूटिलिटी शिफ्टिंग और सड़कों को अतिक्रमण मुक्त करने की जिम्मेदारी उठाएगी। वहीं, एनएचएआई इन्हें हैम (हाईब्रिड एन्युटी मॉडल) या ईपीसी (इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट, कंस्ट्रक्शन) मोड में निर्माण का इंतजाम करेगा। हैम मोड में कुल लागत का 40 फीसदी एनएचएआई देता है, जबकि ईपीसी में पूरी लागत एनएचएआई ही देता है।

निर्माण के बाद 25 साल तक यह सड़क एनएचएआई के पास ही रहेगी और उसके बाद इसे उत्तर प्रदेश सरकार के लिए हैंडओवर कर दिया जाएगा। शुरुआती 25 साल एनएचएआई टोल वसूलेगा। एमओयू के अनुसार, जरूरी सेवा और वित्तीय चार्ज काटने के बाद जो राशि बचेगी, उसे यूपी पीडब्ल्यूडी के खाते में जमा किया जाएगा। इस राशि का इस्तेमाल केवल राज्य की ग्रामीण सड़कों के विकास पर हो सकेगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशानुसार हम प्रदेश में सुपर स्टेट हाईवे विकसित करेंगे। इसके लिए केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी की भी सहमति मिल चुकी है।