दिल्ली कोर्ट ने दिल्ली परिवहन मंत्रालय को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि वह डीटीसी बसों के चालकों को सही तरीके से बस चलवाएं। अदालत ने डीटीसी बस चालक द्वारा तेजी और लापरवाही से गाड़ी चलाने के कारण अपना बायां पैर गंवाने वाले व्यक्ति को 51 लाख रुपये का मुआवजा देते हुए यह निर्देश पारित किया।

मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल (एमएसीटी) न्यायाधीश एकता गौबा मान ने यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस को रुपये का मुआवजा देने का निर्देश देते हुए पीड़ित सुदर्शन प्रधान को 51 लाख रुपये देने का निर्देश भी दिया है। जज ने कहा कि डीटीसी बस चालक ने बस स्टैंड पर बस की गति धीमी की, लेकिन बस को रोका नहीं।

न्यायाधीश ने आगे कहा कि ड्राइविंग के दौरान उनकी बस का फ्रंट गेट भी खुल गया था और वह बस को जल्दबाजी के साथ-साथ लापरवाही से चला रहे थे, जिससे याचिकाकर्ता बस में चढ़ने की कोशिश करते समय गिर गया और उसका बायां पैर बस के टायर के नीचे कुचल गया।

इसी को ध्यान में रखते हुए न्यायाधीश ने 6 जून को अपने आदेश में कहा- मैं सड़क परिवहन मंत्रालय, NCT दिल्ली सरकार डीटीसी विभाग के प्रमुख होने के नाते यह सुनिश्चित करने का निर्देश देता हूं कि डीटीसी बस चालक उचित तरीके से बसों को चलाएं और वह बस स्टैंड पर बस को रोकें।

सिर्फ बस स्टैंड पर ही बसों के गेट खुले होने चाहिए, जिससे लोग बस में सवार हो सकें, क्योंकि डीटीसी बसे सार्वजनिक परिवहन हैं और सार्वजनिक परिवहन में यात्रा करना उनका अधिकार है।

अदालत ने यह निर्देश एक प्राइवेट फर्म में काम करने वाले कर्मचारी की याचिका पर दिया है, जिसमें 16 अक्टूबर, 2022 को सड़क दुर्घटना में अपना एक पैर गंवा दिया था।

इसके बाद उसने डीटीसी और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी के खिलाफ अदालत में याचिका का दायर की थी और मुआवजे की मांग की थी।

याचिकाकर्ता ने कहा कि 16 अक्टूबर 2020 को वह अपने दोस्त टिंकू मंडल के साथ बुराड़ी के संत नगर स्थित अपने घर जा रहा था और वे सिग्नेचर अपार्टमेंट के विपरीत दिशा में बस स्टैंड पर बस के इंतजार में खड़े थे।

कुछ देर बाद दोपहर करीब 12.30 बजे बीबीएम डिपो की तरफ से एक बस (डीटीसी) ने लापरवाही व तेज रफ्तार में बस को सिग्नेचर अपार्टमेंट की रेड लाइट से परमानंद चौक की ओर मोड़ दिया, उसी समय उसके आगे फैसला सुनाया गया कि गेट खुला था और याचिकाकर्ता ने बस को रोकने का इशारा किया।

इसके बाद वाहन के चालक ने याचिकाकर्ता के बाएं पैर को अगले टायर से कुचलते हुए अपनी बस चला दी। जिससे प्रार्थी गंभीर रूप से घायल हो गया।

वहीं, चालक और डीटीसी ने अपने संयुक्त लिखित बयान में कहा कि दुर्घटना याचिकाकर्ता की जल्दबाजी और लापरवाही के कारण हुई, क्योंकि याचिकाकर्ता ने चलती बस में चढ़ने की कोशिश की और वह नशे की हालत में था। दुर्घटना में कोई निर्दिष्ट बस स्टॉप या ज़ेबरा क्रॉसिंग नहीं था।

चालक और डीटीसी के साथ-साथ बीमा कंपनी ने एक लिखित बयान दायर किया था, जिसमें उसने कहा कि दुर्घटना की तारीख पर उल्लंघन करने वाले वाहन का उसके साथ बीमा किया गया था। जहां से पीड़ित बस में चढ़ रहा था। वहां कोई बस स्टॉप नहीं था।