हरियाणा | कड़ाके की ठंड से बचने की कोशिश ने शुक्रवार रात को बहादुरगढ़ में एक और जान ले ली। रात को अलाव जलाकर सो रहे गणपति धाम मंदिर के पुजारी की पांच साल की मासूम बेटी की दम घुटने से मौत हो गई। जबकि स्वयं पुजारी व उनकी पत्नी की हालत गंभीर हो गई। दोनों को पीजीआई रोहतक में भर्ती करवाया गया है। यह परिवार उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले का निवासी है। अलाव के धुएं से दम घुटने के कारण शहर में 15 दिन में पांच लोगों की मौत हो चुकी है।गणपति धाम मंदिर में तीन पुजारी हैं। प्रतापगढ़ जिले के गांव सुरखेलपुर निवासी दीपक (28) भी कई साल से यहां पुजारी हैं।

वह करीब तीन हफ्ते पहले अपनी पत्नी श्वेता (24) व पांच साल की बेटी गुनगुन को भी यहां ले आए और परिवार सहित रहां रहने लगे। मंदिर प्रबंधन ने मंदिर परिसर में ही उन्हें रहने के लिए कमरा व अन्य सुविधाएं दी। कड़ी ठंड पड़ने लगी तो कमरे में लगी खिड़कियों को भी श्वेता ने कपड़े व गत्ते आदि लगाकर बंद कर दिया। शुक्रवार की रात ठंड से बचने के लिए परिवार ने अलाव जला लिया। काफी देर तो वे इस पर हाथ सेंकते रहे और जब नींद आई तो सो गए। कमरे का दरवाजा अंदर से बंद था।मंदिर प्रबंधक अशोक गुप्ता ने बताया कि रात को कमरे में अलाव से बहुत अधिक कार्बनडाईऑक्साइड बन गई और ऑक्सीजन की कमी होने से तीनों का दम घुट गया।

गुनगुन की तो रात को ही मौत हो गई और उसके माता-पिता बेहोश हो गए। दोनों को पीजीआई रोहतक में भर्ती करवाया गया है। जहां दीपक को होश आ गया है, लेकिन श्वेता की हालत गंभीर है।हादसे की जानकारी सुबह करीब आठ बजे उस वक्त लगी जब नजदीक ही सांखोल में रहने वाला दीपक का साला (श्वेता का भाई) यशस्वी बहन से मिलने के लिए आया। दरअसल, शनिवार को यशस्वी को उत्तर प्रदेश में अपने गांव जाना था और उन्हें कुछ पैसों की जरूरत थी। इसलिए वह अपनी बहन से पैसे लेने आए थे। यशस्वी ने यहां आकर कमरे का दरवाजा बहुत बार खटखटाया और आवाजें लगाईं। लेकिन अंदर से कोई जवाब नहीं आया। इस पर यशस्वी ने दूसरे लोगों की मदद से लोहे के दरवाजे पर लगे कुंडे को तोड़ा। लोग अंदर गए तो मंजर देख सभी घबरा गए। परिवार के तीनों अचेत अवस्था में थे। गुनगुन की मौत हो चुकी थी। दीपक व श्वेता को यशस्वी ने अन्य लोगों की मदद से तुरंत नागरिक अस्पताल पहुंचाया। जहां से पीजीआई रोहतक भेज दिया गया।