भोपाल ।  श्रेया घोषाल एक ऐसी मीठी आवाज है, जिसने अपनी आवाज के चलते कम उम्र में ही बहुत कुछ हासिल कर लिया। आज बालीवुड में श्रेया सुरों की रानी है। यही रानी की मधुर आवाज को सुनने का मौका गुरुवार को शहरवासियों को मिला। जिनका लोग बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। गुलाबी गाउन के साथ मंच पर आकर जब श्रेया घोषाल ने अपनी मधुर आवाज में नजर जो तेरी लागी मैं दीवानी हो गई... गीत सुनाया, श्रोताओं की तालियों और सीटियों की आवाज से मोती लाल नेहरू स्टेडियम मैदान गूंज उठा। भोपाल गौरव दिवस के मौके पर आयोजित इस सांस्कृतिक संध्या में इस मीठी, पतली आवाज ने एक से बढ़कर बालीवुड के चचिर्त गीत सुनाए। इस बंगाली बाला श्रेया को सुनने के लिए हजारों की संख्या में रात 12 बजे तक श्रोताओं की भीड़ लगी रही।

उन्होंने लोगों की फरमाइश पर दिल खो गया हो गया किसी का... सुनाया। इसी क्रम में बहारा बहारा हुआ है आज पहली बार... जब आया मेरा सजना मेरे देश... गाने को पेश किया। इसके बाद तेरा साजन आया तेरे देश..., रसिया जो तेरा तुझको सौंप दिया है....,तेरी ओर तेरी ओर हाय रब्बा...,धीरे धीरे नैनो को धीरे धीरे... गीत पेश किए। इससे पहले श्रेया के गीतों को सुनने के लिए शहरवासियों को 20 मिनट तक इंतजार करना पड़ा। क्योंक श्रेया की टीम का म्यूजिक चेक नहीं हो पा रहा था।

मनोज मुंतशिर ने सुनाया भोपालीनामा, भोपाल का नाम भोजपाल करने की उठाई मांग समारोह के दौरान गीतकार मनोज मुंतशिर ने भोपालीनामा पेश किया। इस दौरान उन्होंने भोपाल के गौरव राजाभोज, रानी कमलापति से जुड़े कई अहम किस्सों को सुनाया। मनोज ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से भोपाल का नाम भोजपाल करने का आह्वान किया। उन्होंने जनता की सहमति लेते हुए कहा कि भोजपाल राजाभोज की नगरी है, दोस्त मो. खान और हमीदुल्ला जैसे लुटेरों ने इसका नाम भोपाल कर दिया था, लेकिन हम चाहते है कि इसका वैभव फिर से लौटाते हुए नाम भोजपाल किया जाए।

भोपाल के बारे में उन्होंने पढ़ा और कहा कि मैं उस धरा पर खड़ा हूं जो नौ नदियों, 99 जलाशयों से भरा हुआ है। इस दौरान उन्होंने नये संसद भवन के लोकार्पण से जुड़ी जानकारी लोगों से साझा की। लोगों के बीच चर्चा को जारी रखते हुए मनोज ने कहा कि आजादी के बाद हमीदउल्ला बिल्कुल नहीं चाहते थे कि भोपाल का विलय भारत में हो। वे भोपाल को अपने अंगूठे के नीचे दबाये रखना चाहते थे। लेकिन हमारे पूर्वजों ने संघर्ष करते हुए इसे स्वतंत्र कराया। इस दौरान पहली बार लेजर शो के माध्यम से भोपाल के मनोरम दृश्यों एवं विलीनीकरण से संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेजों का प्रदर्शन किया गया।